एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (EC) एक ऐसा कानूनी दस्तावेज़ है जो घर या संपत्ति खरीदार के कई सवालों के जवाब एक साथ दे सकता है। EC खरीदारों के कई सवालों का जवाब होता है. इसमें ये शामिल होता है:
–कैसे सुनिश्चित करें कि जो प्रॉपर्टी आप खरीद रहे हैं उसे खरीदार ने बैंक को गिरवी नहीं रखा है?
–जो शख्स आपको प्रॉपर्टी बेच रहा है क्या वो प्रॉपर्टी का असली मालिक है?
–क्या आप जानते हैं कि जबसे प्रॉपर्टी बनी है, तब से लेकर अब तक वो कितने लोगों के पास रह चुकी है.
एक खरीदार को इन सारे सवालों के जवाब एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट से मिलेंगे. यह उन दस्तावेजों में से एक है, जो खरीद को पूरा करने के लिए खरीदारों के लिए जरूरी हैं. या यूँ कह लीजिये की घर खरीदने से पहले प्रॉपर्टी का EC चेक कर लेना बेहद ज़रूरी है।
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट क्या है?
ऑक्सफोर्ड लर्नर डिक्शनरी के मुताबिक एन्कम्ब्रन्स, एक संज्ञा, यानी एक व्यक्ति या वस्तु जो किसी को आसानी से या जो वो करना चाहते हैं, उससे रोकता है. इस शब्द का मतलब तब ज्यादा साफ हो जाएगा, जब आप इसके पर्यायवाची बोझ के बारे में जानेंगे. यही मतलब प्रॉपर्टी के मामले में भी लागू होता है.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट एक कानूनी दस्तावेज है, जो इस बात का सबूत होता है कि क्या कोई प्रॉपर्टी कानूनी पचड़ों और वित्तीय बोझ से मुक्त है या नहीं. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट आपको यह भी बताएगा कि क्या प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखी है या नहीं. यह सर्टिफिकेट दिखाएगा कि फिलहाल प्रॉपर्टी का मालिक कौन है और जबसे प्रॉपर्टी बनी है, यह कितने लोगों के पास रह चुकी है. जब आपको यह दस्तावेज मिलेगा तो आपको मालूम चल जाएगा कि आप असली मालिक के साथ ही डील फाइनल कर रहे हैं और प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद या फिर वित्तीय बोझ तो नहीं है.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट कानूनी और वित्तीय संघों के बारे में बताएगा कि क्या मालिक ने प्रॉपर्टी में एवज में लोन किया है, ये सर्टिफिकेट आपको यही दिखाएगा. क्या प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद है, ईसी यह भी आपको बताएगा. हिंदी में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट को भार मुक्त प्रमाण कहा जाता है.
ईसी ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट और कंप्लीशन सर्टिफिकेट से अलग कैसे होता है?
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) और ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) से पूरी तरह अलग होता है. ओसी जहां ये दिखाता है कि बिल्डिंग अब लोगों के रहने लायक है तो वहीं सीसी इस बात का आधिकारिक सबूत होता है कि इमारत का ढांचा नियमों के मुताबिक बनाया गया है.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की जरूरत कब पड़ती है?
आपको इन स्थितियों में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ेगी:
जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं: जब आप असली मालिक के साथ प्रॉपर्टी की डीलिंग कर रहे होते हैं तो यह दस्तावेज बहुत जरूरी होता है क्योंकि यह बताता है कि प्रॉपर्टी के एवज में कोई लोन बकाया नहीं है.
जब आप प्रॉपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं: आपकी लोन एप्लिकेशन मंजूर करने से पहले बैंक आमतौर पर एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग करते हैं.
जब आप घर खरीदने के लिए अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसा निकालते हैं: अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने के लिए अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसा निकालते हैं तो आपका नियोक्ता आपसे एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग करेगा.
जब आप प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए जाएंगे: प्रॉपर्टी खरीदने के बाद, मालिक को सरकारी दस्तावेजों में प्रॉपर्टी म्यूटेशन के जरिए मालिकाना हक के हस्तांतरण को दर्ज कराना होगा.
जब आप प्रॉपर्टी बेच रहे हैं: विक्रेता को आवेदन करने और इसे खरीदार को दिखाने के लिए सरकारी रिकॉर्ड से दस्तावेज को हासिल करना होगा.
आपको कब एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ेगी?
-जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं
-जब प्रॉपर्टी बेचते हैं
-जब होम लोन के लिए अप्लाई करते हैं
-जब प्रॉपर्टी बेचने के लिए पीएफ से पैसा निकालते हैं.
कौन सी अथॉरिटी एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी करती है?
जिस सब-रजिस्ट्रार के क्षेत्राधिकार में प्रॉपर्टी आती है, वही एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी करता है. मूल रूप से, यह वह ऑफिस, है जहां संपत्ति को वर्तमान और पिछले मालिकों द्वारा खरीद के समय रजिस्टर किया गया था.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में क्या लिखा होता है?
सब-रजिस्ट्रार ऑफिस की ओर से जारी किए गए एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में संपत्ति, उसके मालिक, स्वामित्व के हस्तांतरण, गिरवी आदि के सभी विवरण हैं.
ईसी, कंप्लीशन सर्टिफिकेट और ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट में क्या फर्क है?
खरीदारों को इस तथ्य से सावधान रहना चाहिए कि ये तीन दस्तावेज, जो संपत्ति की खरीद के लिए जरूरी हैं, वे अलग-अलग मकसदों को पूरा करते हैं और इन्हें लेकर आपको भ्रमित नहीं होना चाहिए. जबकि निर्माण योजना और अन्य नियमों के मुताबिक इमारत के पूरा होने के बाद एक बिल्डर को स्थानीय प्राधिकारी कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करते हैं. वहीं ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट में यह लिखा होता है कि इमारत लोगों के रहने लायक है. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के बारे में जैसा पहले बताया गया है, वह इन दोनों दस्तावेजों से अलग है.
शून्य-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट क्या होता है?
सब-रजिस्ट्रार ऑफिस की ओर से शून्य-एम्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट उस संपत्ति के लिए जारी किया जाता है, जिसमें उस अवधि में कोई लेन-देन नहीं हुआ है जिसके लिए आवेदक ने एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट मांगा है. एम्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट फॉर्म 16 में जारी होता है.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट पाने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है?
ईसी हासिल करने के लिए आवेदक को ये दस्तावेज देने होंगे:
-अड्रेस प्रूफ
-उसका दस्तखत
-उस प्रॉपर्टी की जानकारी, जिसके लिए वो ईसी मांग रहा है.
-अगर प्रॉपर्टी के लिए डीड बनाई गई है तो डीड की कॉपी.
कितने प्रकार के एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट होते हैं?
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट दो प्रकार के होते हैं:
फॉर्म 15- जिस अवधि के लिए आवेदक ने एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट मांगा है, अगर उस दौरान कोई एन्कम्ब्रन्स है तो सब-रजिस्ट्रार दफ्तर फॉर्म 15 पर एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी करता है.
फॉर्म 16- जिस अवधि के लिए आवेदक ने एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट मांगा है, अगर उस दौरान कोई एन्कम्ब्रन्स नहीं है तो सब-रजिस्ट्रार दफ्तर फॉर्म 16 पर शून्य एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी करता है.
फॉर्म 15 पर क्या जानकारियां होती हैं?
आमतौर पर, फॉर्म 15 पर विरासत, बिक्री, खरीद, लीज, गिरवी, गिफ्ट, त्याग और प्रॉपर्टी के विभाजन जैसी जानकारियां लिखी होती हैं.
ऐसे कौन से राज्य हैं, जो ऑनलाइन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी करते हैं?
कुछ राज्यों को छोड़कर भारत में अधिकतर फिजिकली ही एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं. जिन राज्यों में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ऑनलाइन जारी किए जाते हैं वे हैं आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, ओडिशा, पुडुचेरी, तमिलनाडु.
आंध्र प्रदेश में अतिक्रमण प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन करें।
ओडिशा में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन करें.
केरल में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन करें
पुदुचेरी में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन करें
तमिलनाडु में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन करें
तेलंगाना में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन करें
राज्य की ऑनलाइन प्रणाली कावेरी ऑनलाइन सर्विस में तकनीकी खामी आने के बाद, कर्नाटक सरकार ने 10 जून, 2020 को एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट और अन्य संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों को जारी करने के लिए ऑफ़लाइन मोड पर वापस जाने का फैसला किया. साइट पर गड़बड़ियों को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्नाटक के किसानों को बिना ईसी सब्मिट कराए लोन पाने की इजाजत दे दी. यह तय किया गया कि किसान बाद में ये दस्तावेज दे सकते हैं. इस मुद्दे के कारण पूरे राज्य में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पर भी असर पड़ा, जिसमें राजधानी बेंगलुरु भी शामिल है.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ऑनलाइन कैसे अप्लाई करें?
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ऑनलाइन हासिल करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें. ध्यान रहे कि ये सुविधा कुछ ही राज्यों में उपलब्ध है.
आपको सही से चीजें मालूम हो जाएं इसलिए हम आपको तेलंगाना में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ऑनलाइन अप्लाई करने का तरीका बता रहे हैं.
स्टेप 1- आधिकारिक वेबसाइट मीसेवा पोर्टल पर जाएं.
स्टेप 2- पेज के टॉप पर तीसरे टैब गवर्नमेंट फॉर्म्स पर क्लिक करें.
स्टेप 3- जो पेज दिखाई देगा, उसे नीचे स्क्रॉल करें. आपको हेड स्टैंप्स एंड रजिस्ट्रेशन के नीचे एप्लिकेशन फॉर्म ऑफ एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट दिखाई देगा. इस फॉर्म को डाउनलोड करें और जरूरी जानकारी भरें. फॉर्म के साथ जरूरी दस्तावेज अटैच करें.
स्टेप 4- इसके बाद नजदीकी मीसेवा केंद्र पर जाएं और फीस के साथ अपनी एप्लिकेशन सब्मिट कर दें.
स्टेप 5- सब्मिट करने के बाद रसीद हासिल करें.
स्टेप 6- वेरिफिकेशन के बाद एप्लिकेशन सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में भेज दी जाएगी. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी करने से पहले वहां से अधिकारी खुद जाकर प्रॉपर्टी का निरीक्षण करेंगे.
स्टेप 7- मीसेवा पोर्टल के जरिए एसएमएस से आपको अपनी एप्लिकेशन की प्रगति के अपडेट्स मिलते रहेंगे. आप पोर्टल पर जाकर भी स्टेटस चेक कर सकते हैं.
स्टेप 8- ईसी जारी करने के लिए सब-रजिस्ट्रार दफ्तर को 6 कामकाजी दिन लगेंगे.
अपनी संपत्ति के लिए एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट को लेकर आवेदन करने के लिए मालिकों के लिए क्या फॉर्मेट है?
ईसी के लिए आवेदन करते समय प्रॉपर्टी मालिकों को एक तय मानक का पालन करना होगा. अगर आप दिल्ली में एक प्रॉपर्टी के मालिक हैं और ईसी के लिए आवेदन करना चाहते हैं, तो फॉर्मेट को खोजने के लिए यहां क्लिक करें.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट पाने के लिए क्या फीस है?
इसके लिए बेहद मामूली फीस है. यह विभिन्न राज्यों में 200-500 रुपये के बीच हो सकती है. ईसी हासिल करने के लिए आवेदक को इसका भुगतान करना होगा. हालांकि, उस अवधि के आधार पर शुल्क भिन्न हो सकते हैं जिसके लिए आप जानकारी मांग रहे हैं.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए कितना टाइम लगेगा?
ऑफलाइन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट हासिल करने में 15 से 30 दिन का समय लग सकता है. यह दस्तावेज उन राज्यों में 6 से 7 दिनों के लिए जारी किया जाता है जहां प्रमाणपत्र ऑनलाइन जारी किया जाता है. उदाहरण के लिए, दिल्ली में ऑफलाइन ईसी हासिल करने में 21 दिन लगते हैं.
कितनी अवधि के लिए एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट लिया जा सकता है?
12 से 30 साल की अवधि के लिए एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट लिया जा सकता है.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट हासिल करना क्यों जरूरी है
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट उन कई दस्तावेजों में से एक है, जो यह साबित करते हैं कि प्रॉपर्टी कानूनी और वित्तीय पचड़ों से मुक्त है या नहीं. खरीदार प्रॉपर्टी खरीदने के फैसले से पहले विक्रेता से इसे मांग सकते हैं.
प्रॉपर्टी को लेकर कोई विवाद नहीं है क्या इसके लिए एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ही काफी है?
EC एक अहम दस्तावेज है, जो प्रॉपर्टी की कानूनी और वित्तीय स्थिति के बारे में खरीदारों को सूचना देता है. खरीदार को यह ध्यान में रखना चाहिए कि प्रॉपर्टी के बारे में कई सूचनाएं सरकारी रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं होती हैं. बता दें कि सरकार ईसी के जरिए सिर्फ वही सूचना देगी, जो मालिकों द्वारा रजिस्ट्रेशन के जरिए उसे हासिल होगी. अगर सही रजिस्ट्रेशन के बिना व्यक्तिगत रूप से लेन-देन नहीं किया जाता है, तो सब-रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए गए ईसी में यह जानकारी नहीं होगी.
ये है जरूरी चेतावनी
विक्रेता से ईसी हासिल करने के अलावा खरीदार को बारीकी से जांच करनी चाहिए और खुद जाकर सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी तरह के एन्कम्ब्रन्स से प्रॉपर्टी मुक्त है. जबकि दस्तावेजी प्रमाण सुरक्षा जाल, भूमि संबंधी धोखाधड़ी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भूखंड की बिक्री, के रूप में काम करता है, यह काफी सामान्य है. दुर्भाग्यवश, ऐसे ग्राहक RERA के पास नहीं जा सकते क्योंकि ये लेनदेन रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी के तहत नहीं आते.
EC से जुड़े नए अपडेट
EC का ऑनलाइन आवेदन और वितरण: भारत के ज्यादातर राज्य अब EC के ऑनलाइन आवेदन और वितरण की अनुमति देते हैं। इसने नागरिकों के लिए प्रोसेस को ज्यादा आसान बना दिया है।
भूमि रिकॉर्ड सिस्टम के साथ एकीकरण: कई राज्यों में, EC को अब भूमि रिकॉर्ड प्रणालियों के साथ जोड़ दिया गया है। इसका मतलब है कि EC पर डेटा रियल टाइम में अपडेट किया जाता है, जिससे यह ज्यादा विश्वसनीय और सटीक हो जाता है।
कम की गई फीस: कुछ राज्यों ने EC प्राप्त करने की फीस कम कर दी है। इससे नागरिकों के लिए यह दस्तावेज़ प्राप्त करना ज्यादा किफायती हो गया है।
ये रहे भारत के अन्य राज्यों के EC से संबंधित अपडेट:
तमिलनाडु: तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में संपत्ति की बिक्री और दान के पंजीकरण के लिए स्टांप फीस कम कर दी है। इससे नागरिकों के लिए EC प्राप्त करना ज्यादा किफायती हो गया है, क्योंकि स्टाम्प ड्यूटी EC की फीस के कंपोनेंट में से एक है।
कर्नाटक: कर्नाटक सरकार ने नागरिकों के लिए कावेरी पोर्टल के माध्यम से EC के लिए ऑनलाइन आवेदन करना संभव बना दिया है। इससे यह प्रक्रिया ज्यादा सुविधाजनक हो गई है।
तेलंगाना: तेलंगाना सरकार ने अपनी EC प्रणाली को अपनी भूमि रिकॉर्ड प्रणाली के साथ जोड़ दिया है। इसका मतलब है कि EC पर डेटा रियल टाइम में अपडेट किया जाता है, जिससे यह ज्यादा विश्वसनीय और सटीक हो जाता है।
भारत सरकार EC प्राप्त करने की प्रक्रिया को और भी अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए कई पहलों पर काम कर रही है। उदाहरण के लिए, सरकार एक राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस विकसित कर रही है जिससे नागरिकों के लिए देश में कहीं से भी ईसी प्राप्त करना संभव हो जाएगा। सरकार ईसी के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित करने पर भी काम कर रही है, जिससे नागरिकों के लिए इस सेवा तक पहुंच और भी सुविधाजनक हो जाएगी।
पूछे जाने वाले सवाल
क्या प्लॉट खरीद के लिए मुझे ईसी की जरूरत पड़ेगी?
हां, चाहे आप किसी रिहायशी इमारत का प्लॉट खरीद रहे हों जैसे फ्लैट, अपार्टमेंट इत्यादि, उसके लिए भी आपको एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ेगी.
क्या फ्लैट खरीद के लिए मुझे ईसी की जरूरत पड़ेगी?
चाहे आप रिहायशी इमारत के लिए प्लॉट खरीदें या फिर फ्लैट या अपार्टमेंट आपको एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ेगी.
क्या होता है फॉर्म 22?
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करने के लिए फॉर्म 22 एक स्टैंडर्ड परफॉर्मा है.
ऑनलाइन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट कैसे हासिल किया जा सकता है?
अधिकतर राज्यों में आवेदकों को सब-रजिस्ट्रार दफ्तरों में जाना होगा.