क्या भारत में कोरोना वायरस का कहर प्रॉपर्टी की कीमतों पर भी बरपेगा?

कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल ने तीन जून 2020 को एक बयान दिया था, जिसके बाद भारत में डेवेलपर कम्युनिटी में खलबली मच गई. उन्होंने कहा कि बिल्डर्स को हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की कीमतें कम करनी चाहिए और जो बिना बिके फ्लैट्स हैं, उन्हें बेच देना चाहिए. क्या कीमतें गिरेंगी?

मांग की कमी के कारण भारत में रियल एस्टेट मार्केट में कीमतों में इजाफा नहीं हो रहा है और अब कोरोना वायरस के कहर के कारण पूरा देश लॉकडाउन कर दिया गया है, जिससे प्रॉपर्टी मार्केट में इजाफे का कोई भी चांस खत्म हो गया है.  प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के आंकड़े संकेत देते हैं कि भारत के 9 बड़े रिहायशी मार्केट्स में पिछले आधे दशक में बहुत कम कीमतों में इजाफा हुआ है.

भारत के नौ प्रमुख आवासीय बाजारों में संपत्ति की कीमतें

City September 2020 psf के रूप में औसत संपत्ति मूल्य September 2020 के औसत मूल्य में शुद्ध% परिवर्तन
Ahmedabad Rs 3,151 6%
Bengaluru Rs 5,310 2%
Chennai Rs 5,240 2%
Hyderabad Rs 5,593 6%
Kolkata Rs 4,158 1%
MMR Rs 9,465 1%
NCR Rs 4,232 -1%
Pune Rs 4,970 2%
National average Rs 6,066 1%

स्रोत: प्रॉपटाइगर डेटा लैब्स

हालांकि कीमतों के मामले में ज्यादा उतार या चढ़ाव नहीं देखा गया है. हैदराबाद के रियल एस्टेट ने तो समय के साथ कुछ वृद्धि भी देखी है. एमएमआर में, संपत्ति की कीमतें पहले से ही राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक थीं, मूल्य वृद्धि काफी धीमी रही है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और चेन्नई में केवल आवास बाजारों में कुछ कमी या तुच्छ वृद्धि हुई है.

इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसलटेंसी नाइट फ्रैंक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 की दूसरी तिमाही में भारत में घरों की कीमत में 1.9 प्रतिशत साल-दर-साल (YoY) की गिरावट दर्ज की है. भारत अब अपने ग्लोबल हाउस प्राइस इंडेक्स में 54 वें स्थान पर है. उसे 11 पायदान का नुकसान हुआ है. उसकी पिछली रैंकिंग 43 थी. नाइट फ्रैंक इंडिया के सीएमडी शिशिर बैजल के मुताबिक, कीमतों में मौजूदा नरमी ग्राहकों के लिए फायदेमंद हो सकती है ताकि वे अपनी खरीदारी पर फैसले कर सकें.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास मौजूद डेटा दिखाता है कि इस साल जनवरी से मार्च की अवधि में प्रॉपर्टी की वैल्य में 1 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं न्यूज एजेंसी रॉयटर्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस साल औसत मकान की कीमत 6% और 2021 में 3% गिरने की उम्मीद है. 16-28 सितंबर 2020 तक किए गए पोल, जिसमें 15 एनालिस्ट्स ने भाग लिया था, में बताया गया कि मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु में क्रमश: 7.5%, 7.0%, 5.0% और 3.5% की एक क्षेत्रवार मकान की कीमतों में गिरावट का अनुमान है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में, महामारी का प्रभाव कम से कम 10% तक घट जाएगा.

रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म Liases Foras के मुख्य कार्यकारी पंकज कपूर ने एक बयान में कहा, ‘उधार और शैडो बैंकिंग संकट के बावजूद अधिकांश बाजारों में कीमतें स्थिर रही हैं. कई भौगोलिक क्षेत्रों में 10% से 20% तक की कमी आ सकती है, जबकि भूमि की कीमतों में 30% तक की कमी देखी जा सकती है.’

एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि बिल्डर्स को घरों की कीमतों में 20 प्रतिशत की गिरावट के लिए तैयार रहना चाहिए. हालांकि, कुछ लोग कपूर और पारेख से अलग राय रखते हैं.

क्यों कोविड-19 के बाद भारत में प्रॉपर्टी की कीमतें नहीं गिरेंगी?

3 जून 2020 को केंद्रीय कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल के एक बयान से बिल्डर समुदाय में खलबली मच गई. उन्होंने कहा कि बिल्डर्स को अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स कम कीमतों पर बेच देने चाहिए ताकि ऊंची कीमतों वाला बिना बिका स्टॉक खत्म हो जाए. बिल्डर समुदाय को इस संक्षिप्त संदेश में मंत्री ने कहा कि सरकार सर्किल रेट्स में कुछ राहत प्रदान कर सकती है ताकि उनके ऊपर जो दबाव है उसे कम किया जा सके लेकिन वे कीमतों को कम करने में अधिक आगामी होना चाहिए.

उद्योग निकाय राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (NAREDCO) द्वारा आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग में गोयल ने कहा, ‘अगर आप में से किसी को लगता है कि सरकार इस तरह से फाइनेंस कर सकेगी कि आप अधिक समय तक टिके रह सकते हैं और बाजार में सुधार होने का इंतजार कर सकते हैं- क्योंकि बाजार में जल्दबाजी में सुधार नहीं हो रहा है – आपका सबसे अच्छा दांव बेचना है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘आप या तो अपने मटीरियल (इन्वेंट्री) के साथ फंसे रह सकते हैं, फिर बैंकों के साथ डिफॉल्ट या फिर आप इसे बेचने का विकल्प चुन सकते हैं, भले ही आपने इसे ज्यादा कीमतों पर खरीदा हो और आगे बढ़ाना हो.’

NAREDCO के लिए यह बयान एक सदमे की तरह आया, जिसने कोरोना वायरस संकट के बाद पैदा हुए हालात से निपटने के लिए, 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राहत मांगी है. महामारी के कारण चीजें खराब होने से पहले ही यह क्षेत्र बैंकों के साथ 120 बिलियन डॉलर की खराब स्थिति से जूझ रहा था.

बैड लोन्स और ज्यादा इन्वेंट्री के बोझ तले दबे समुदाय पर प्रहार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘बेचने से पहले आपको प्रोजेक्ट्स पूरे करने होंगे क्योंकि ग्राहक निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स नहीं खरीदेंगे. अपनी जिंदगी में मैं किसी से भी अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट नहीं खरीदूंगा.’ अगले दिन सीआईआई के नव निर्वाचित अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा कि वह गोयल के बयान का समर्थन करते हैं.

आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में बताया गया है कि बिल्डरों को अपनी इन्वेंट्री के बोझ को कम करने के लिए एक उपाय के रूप में कीमतों को कम करने की अनुमति देनी चाहिए. यही बात एचडीएफसी के चेयरमैन ने भी कही, जब उन्होंने कहा कि बिल्डरों को लिक्विडिटी पैदा करने के लिए जो भी कीमतें मिलें, उन्हें अपनी इन्वेंट्री को बेचना चाहिए. लेकिन ऐसे कई मुद्दे हैं, जो ऐसी सलाहों को मानने में मुश्किलें पैदा कर रहे हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी कंपनी मौजूदा परिस्थितियों में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कीमतों को कम करने की योजना बना रही है तो गोदरेज प्रॉपर्टीज के प्रबंध निदेशक मोहित मल्होत्रा ने ना में जवाब दिया. उन्होंने कहा, “हमारा कीमतें कम करने का कोई इरादा नहीं है. पिछले 8 वर्षों से इंडस्ट्री काफी दबाव में है. कीमतों में कटौती करने का स्कोप काफी सीमित है.” इंडस्ट्री में उनके कई साथी भी यही सोचते हैं. लेकिन क्यों?

डेवेलपर्स काफी दबाव में हैं

ध्यान रहे कि वाणिज्यिक बैंकों, एनबीएफसी और एचएफसी के रियल एस्टेट डेवलपर्स का कुल बकाया मार्च 2020 तक लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. Savills India के सीईओ अनुराग माथुर ने कहा, ‘भारत के आवासीय रियल एस्टेट में आने वाले महीनों में स्लोडाउन आने की उम्मीद है, जिसे सारी गतिविधियां एक ठहराव पर हैं. कंस्ट्रक्शन पहले ही एक ठहराव पर पहुंच चुका है, इसलिए प्रोजेक्ट्स के पूरे होने की उम्मीद भी स्थगित हो सकती है. अगर स्थिति बढ़ती है, तो पैसों की तैनाती, जिसमें 25000 करोड़ रुपये का वैकल्पिक इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) शामिल है, वो भी होल्ड पर रह जाएगा.

माथुर कहते हैं, ” हाउसिंग सेल्स में कम से कम अगली एक तिमाही के लिए तेजी से गिरावट आ सकती है क्योंकि उपभोक्ताओं की सबसे बड़ी प्राथमिकता स्वास्थ्य / सुरक्षा और आय संरक्षण है.”

हाल ही में आरबीआई ने रेपो दर को 4% तक कम कर दिया है और लोन ईएमआई पर मोरेटोरियम की पेशकश की है, जिससे डेवेलपर्स को इस बड़े सदमे से निपटने में कुछ राहत मिलेगी. संपत्ति की कीमतों में भी गिरावट की संभावना दिखाई नहीं देती, वो भी ऐसे समय में जब खरीदार बाजार से दूर हों. इस दौरान प्रोजेक्ट लॉन्च में भी गिरावट आएगी. आंकड़ों के मुताबिक, जून तिमाही में 9 मार्केट्स में सिर्फ 12,564 नई यूनिट्स लॉन्च हुईं. यह साल-दर-साल 81% की गिरावट है.

मटीरियल सप्लाई करने की लागत बढ़ेगी

माथुर कहते हैं, ‘वर्तमान संकट की अवधि और गहराई के आधार पर, कीमतें नीचे जा या नहीं जा सकती हैं क्योंकि डेवलपर्स की होल्डिंग लागत बढ़ जाएगी, जबकि अनसोल्ड इन्वेंट्री को तरल करने का दबाव बढ़ जाएगा. निकट-से-मध्यम अवधि में मूल्य परिवर्तन की सीमा की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी.

ब्याज दरें रिकॉर्ड स्तर पर कम हैं, घर खरीदना आसान हो जाएगा

RBI ने रेपो रेट को घटाकर 4% कर दिया है, जिससे घर खरीदारों के लिए कर्ज सस्ता हो गया है. नतीजतन, होम लोन की ब्याज दरें पहले से 6.95% तक कम हैं. एक बार कोविड-19 का जॉब मार्केट पर पड़ने वाले प्रभाव का पता चलने के बाद यह ग्राहकों के लिए प्रॉपर्टी में निवेश के बूस्टर के रूप में काम करेगा.

जेएलएल इंडिया के सीईओ और कंट्री हेड रमेश नायक ने कहा, ‘(बैंकों) के लिए यह जरूरी है कि वे (रेपो) दर में कटौती (RBI द्वारा) को सीधे घर खरीदार को ट्रांसफर करें, जिससे उपभोक्ताओं की धारणा को बल मिलेगा.’

हालांकि कुछ सुधारों की उम्मीद अब भी बिल्डर की साइड से भी है क्योंकि कमजोर जॉब मार्केट में सस्ता होम लोन ही काम नहीं आएगा. अगर डेवलपर्स कुछ कमी की पेशकश करते हैं, तो संपत्ति निवेश वास्तव में बढ़ सकता है.

NAREDCO के सहयोग से हाउसिंग डॉट कॉम द्वारा कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, 47% किराएदार ‘सही कीमत’ वाली संपत्ति में निवेश करना चाहते हैं. कीमतों का मॉडरेशन भी किरायेदारों को आकर्षित करेगा, जो अब तक खरीद की जगह किराये को तवज्जो दे रहे थे, मुख्य रूप से मूल्य लाभ की वजह से. जो किरायेदार अभी अपनी नौकरी की प्रकृति और कीमतों के मुद्दे के कारण घर खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, उनका कहना है कि वे अगले दो वर्षों में प्रॉपर्टी खरीदेंगे.

स्टैंप ड्यूटी में सुधार

खरीद को बढ़ावा देने और खरीदारों के लिए खरीद की समग्र लागत को कम करने के मकसद से कुछ राज्यों ने स्टैंप ड्यूटी में कटौती का ऐलान किया है. ये वो टैक्स होता है, जो खरीदार राज्य सरकार को लेनदेन की वैल्यू के प्रतिशत के रूप में देते हैं. उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र ने 6 महीने के लिए अस्थायी रूप से दरों में कटौती का ऐलान किया है. उस राज्य में खरीदार अपनी प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन प्रॉपर्टी वैल्यू के 2 प्रतिशत का भुगतान करके करवा सकते हैं. कर्नाटक ने भी 30 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टीज पर स्टैंप ड्यूटी 3 प्रतिशत तक घटा दी है. 7 सितंबर 2020 को मध्य प्रदेश सरकार ने संपत्तियों के पंजीकरण के लिए लगाई गई स्टैंप ड्यूटी पर सेस में 2% की कमी करने की भी घोषणा की.

सवाल और जवाब

क्या कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण प्रॉपर्टी की कीमतें गिरेंगी?

बहुत तेजी से इजाफा तो दिखाई नहीं देता. स्लोडाउन की वजह से प्रॉपर्टी की कीमतें उसी स्तर पर रहने वाली हैं.

कोविड-19 का हाउसिंग मार्केट पर क्या असर पड़ेगा?

कोरोना वायरस आपदा के कारण घरों की डिमांड पर कम अवधि में असर पड़ेगा.

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