भारत में घर की संपत्ति उपहार देने पर कर संबंधी प्रभाव होते हैं, जो मुख्य रूप से आयकर और स्टाम्प ड्यूटी के रूप में होते हैं। स्टाम्प ड्यूटी हर राज्य के हिसाब से अलग होती है, जो आमतौर पर संपत्ति की कीमत का 2 फीसदी से 7 फीसदी तक होती है। इसमें सबसे अहम बात ये है कि कई राज्यों में भाई-बहन के बीच उपहार पत्र पर स्टाम्प ड्यूटी माफ होती है और पिता से बेटे को उपहार देने पर भी स्टाम्प ड्यूटी भी माफ होती है, यानी जब उपहार रक्त संबंधियों को दिया जाता है तो स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारत में उपहार पत्र पर स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कौन करता है, इसकी गणना कैसे की जाती है और अगर स्टाम्प का भुगतान नहीं किया जाता है तो क्या होता है।
कौन सी संपत्ति उपहार में दी जा सकती है?
किसी संपत्ति को भारतीय कानूनों के अंतर्गत उपहार बनने के लिए निम्नलिखित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा:
- संपत्ति चल या अचल संपत्ति होनी चाहिए।
- संपत्ति हस्तांतरणीय होनी चाहिए।
- संपत्ति भविष्य की संपत्ति नहीं होनी चाहिए।
- संपत्ति मूर्त (स्पर्श करने योग्य) होनी चाहिए।
उपहार दस्तावेज के बारे में मुख्य बिंदु
- शादी के अवसर पर प्राप्त उपहार: शादी के अवसर पर रिश्तेदारों से प्राप्त उपहार, वसीयत या वार्षिक संपत्ति के रूप में प्राप्त उपहारों पर कर नहीं लगता।
- उपहार की वैधता: एक उपहार दस्तावेज तब तक वैध होता है, जब तक कि इसे सही तरह से तैयार किया गया हो और विक्रेता संपत्ति का पूर्ण कानूनी मालिक हो। उपहार दस्तावेज की वैधता के लिए यह भी जरूरी है कि कोर्ट का कोई आदेश उस संपत्ति के हस्तांतरण को रोकता नहीं हो।
- उपहार दस्तावेज पर कर दायित्व: उपहार दस्तावेज पर कर दायित्व तब नहीं लगता, जब उपहार शादी के अवसर पर, वार्षिक संपत्ति के रूप में या स्थानीय प्राधिकरण से प्राप्त किया गया हो। यह नियम उन उपहारों पर भी लागू होता है, जो किसी फाउंडेशन, ट्रस्ट, शैक्षिक संस्थान या चिकित्सा संस्थान से प्राप्त किए जाते हैं।
- चल संपत्ति का उपहार देना: यदि आप चालित संपत्ति (जैसे वाहन) का उपहार दे रहे हैं तो उपहार दस्तावेज तैयार करना अनिवार्य नहीं है।
- उपहार दस्तावेज में कारण का उल्लेख: आदर्श रूप से आपको उपहार दस्तावेज में उपहार देने का कारण भी उल्लेख करना चाहिए। यह कारण सामान्य कल्याण या व्यक्ति के लिए हो सकता है। उपहार दस्तावेज में यह भी उल्लेख करें कि आप यह हस्तांतरण स्वाभाविक प्रेम और स्नेह के कारण कर रहे हैं। उपहार दस्तावेज तैयार करने से पहले अपने परिवार के सदस्यों से परामर्श लें। भविष्य में कानूनी समस्याओं से बचने के लिए यह जरूरी है।
- प्राप्तकर्ता द्वारा स्वीकार्यता का प्रमाण प्रस्तुत करना: उपहार दस्तावेज के पंजीकरण के समय आपको उपहार को प्राप्तकर्ता द्वारा स्वीकार किए जाने का प्रमाण भी प्रस्तुत करना होगा।
उपहार में मिली संपत्ति पर स्टाम्प ड्यूटी कौन देता है?
दानकर्ता या संपत्ति उपहार में देने वाला व्यक्ति भू-संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के दौरान स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क के साथ-साथ अन्य संबंधित शुल्क का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है। यदि संपत्ति उपहार में पाने वाले प्राप्तकर्ता कुछ भी भुगतान करता है, तो इसे संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत बिक्री के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिससे जिम्मेदारी खरीदार पर आ जाती है।
भारतीय राज्यों में 2025 में गिफ्ट डीड पर स्टाम्प शुल्क
वह राज्य, जहां गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड है | संपत्ति के मूल्य के आधार पर स्टाम्प शुल्क (प्रतिशत में) | संपत्ति मूल्य के आधार पर रजिस्ट्री शुल्क का प्रतिशत |
उत्तर प्रदेश | रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति विनिमय के लिए 5,000 रुपए + 1,000 रुपए प्रोसेसिंग फीस | 1 % |
हरियाणा | 5 % | 1% |
दिल्ली | 4 % | 1 % |
महाराष्ट्र | रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति विनिमय के लिए 200 रुपए
3 फीसदी |
1 % |
गुजरात | 3.5 % | 1 % |
राजस्थान | 6 % | 1 % |
मध्य प्रदेश | 5 % | 1 % |
आंध्र प्रदेश | 2 % | 0.5 % |
हिमाचल प्रदेश | 6 % | 1 % |
तमिलनाडु | 7 % | 1 % |
कर्नाटक | 5 % | 1 % |
पंजाब | 6 % | 1 % |
बिहार | 5.7 % (महिलाओं के लिए) और 6 % (पुरुषों के लिए) | 1 % |
झारखंड | 3 % | 1 % |
केरल | 2 % | 1 % |
मध्य प्रदेश | 2.5% | 1% |
छत्तीसगढ़ | 5% | 1% |
उत्तराखंड | 5 % | 1 % |
हिमाचल प्रदेश | 5 से 6 % | 1 % |
ओडिशा | 3 % | 1 % |
तेलंगाना | 0.5% (न्यूनतम 1,000 रुपये और अधिकतम 10,000 रुपये तक) | 1 % |
जम्मू और कश्मीर | 3 से 7 फीसदी | 1 % |
असम | 5.6 % | 1 % |
चंडीगढ़ | 5 % | 1 % |
गोवा | रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति विनिमय के लिए 5,000 रुपए | 1 % |
मणिपुर | 7% | 1% |
सिक्किम | 1% | 1% |
अरुणाचल प्रदेश | 6% | 1% |
संपत्ति के लेन-देन से संबंधित ज्यादातर कार्यों की तरह ही गिफ्ट में मिली भू-संपत्ति पर भी रजिस्ट्रेशन शुल्क भी लागू होता है, ताकि उपहार में मिली संपत्ति को कानूनी रूप से मान्यता मिल सके। देश में कुछ राज्य संपत्ति की कीमत का 1 फीसदी उपहार विलेख रजिस्ट्रेशन चार्ज के रूप में लेते हैं और एक फीसदी अन्य चार्ज के रूप में लेते हैं।
यह भी देखें: भारत में ऑनलाइन प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और शुल्क
गिफ्ट डीड पर स्टांप शुल्क की गणना कैसे करें?
आप जिस राज्य में संपत्ति स्थित है, वहां के IGR पोर्टल पर गिफ्ट डीड स्टाम्प ड्यूटी की गणना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में गिफ्ट डीड स्टाम्प ड्यूटी कैसे गणना करें, इस बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है।
- https://igrmahhelpline.gov.in/stamp-duty-calculator.php पर गिफ्ट डीड ऑप्शन पर क्लिक करें।
- नीचे दिए गए उपहार विलेख स्टाम्प ड्यूटी ऑप्शन में से किसी एक को चुनें कि संपत्ति किसे उपहार में देनी है –
- उपहार नगर निगम, नगर परिषद, छावनी या ग्राम पंचायत में से किस श्रेणी में आता है, यह चुनें। इसके आधार पर आपको यह पता चल जाएगा कि आपको उपहार विलेख पर कितनी स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी।
- उदाहरण के लिए, यदि आप नगर पालिका निगम में मुंबई नगर निगम चुनते हैं, तो 10,00,000 रुपये की संपत्ति के लिए 200 रुपये स्टांप ड्यूटी देनी होगी।
इस बात का विशेष ध्यान दें कि संपत्ति गिफ्ट करते समय गिफ्ट डीड स्टाम्प ड्यूटी दाता (donor) को ही चुकानी होती है।
सर्कल रेट्स का गिफ्ट डीड स्टांप ड्यूटी-2025 पर क्या असर पड़ता है?
सर्कल रेट, जिसे रेडी रेकनर रेट या गाइडलाइन वैल्यू भी कहा जाता है। सर्कल रेट गिफ्ट डीड पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। चूंकि स्टांप ड्यूटी गिफ्ट की गई संपत्ति के मूल्य के आधार पर तय होती है, इसलिए सर्कल रेट संपत्ति के मूल्यांकन के लिए एक आधार प्रदान करता है, जिससे टैक्स आकलन में समानता और पारदर्शिता बनी रहती है। यहां जानिए सर्कल रेट का गिफ्ट डीड स्टांप ड्यूटी पर असर बताया गया है –
1. गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी का आधार
गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी इस आधार पर तय होती है कि इनमें से कौन-सा मूल्य अधिक है:
- गिफ्ट डीड में दर्ज संपत्ति का घोषित मूल्य।
- सरकार द्वारा निर्धारित उस क्षेत्र का सर्कल रेट।
भले ही संपत्ति बिना किसी लेन-देन के उपहार में दी जाए, स्टांप ड्यूटी का निर्धारण उसके सर्कल रेट के अनुसार किया जाता है।
2. न्यायसंगत मूल्यांकन सुनिश्चित करता है
सर्कल रेट यह सुनिश्चित करता है कि स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए गिफ्ट डीड में संपत्ति का मूल्य कम न दिखाया जाए। यदि घोषित मूल्य सर्कल रेट से कम होता है, तो स्टांप ड्यूटी की गणना उच्च सर्कल रेट के आधार पर की जाती है।
3. स्थान के अनुसार भिन्नता
सर्कल रेट क्षेत्र, संपत्ति के प्रकार (आवासीय, व्यावसायिक, कृषि) और स्थान (शहरी या ग्रामीण) के आधार पर अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, महानगरों में संपत्तियों का सर्कल रेट आमतौर पर उपनगरों या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है, जिससे शहरी क्षेत्रों में गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी भी अधिक होती है।
4. उदाहरण के लिए गणना
- संपत्ति का विवरण
- गिफ्ट डीड में घोषित मूल्य: ₹40 लाख
- सर्कल रेट मूल्यांकन: ₹50 लाख
- स्टांप ड्यूटी दर: 3%
- देय स्टांप ड्यूटी: ₹50 लाख × 3% = ₹1.5 लाख
इस स्थिति में भले ही संपत्ति उपहार में दी जा रही हो और कोई भुगतान न हो, फिर भी दाता को 50 लाख रुपए (उच्च सर्कल रेट मूल्य) पर स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी।
5. नजदीकी रिश्तेदारों के लिए विशेष मामले
कुछ राज्यों में माता-पिता, भाई-बहन या जीवनसाथी के बीच गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी में रियायत या निश्चित दरें होती हैं। हालांकि, इन रियायतों के बावजूद, सर्कल रेट को संपत्ति के मूल्यांकन का आधार माना जाता है।
6. पुराने सर्कल रेट के प्रभाव
यदि सर्कल रेट पुराने हैं और मौजूदा बाजार मूल्य को सही तरीके से नहीं दर्शाते, तो इसके कारण हो सकता है:
- यदि सर्कल रेट वास्तविक बाजार मूल्य से अधिक है तो अधिक स्टांप ड्यूटी चुकानी पड़ेगी।
- यदि बाजार मूल्य बहुत अधिक है लेकिन सर्कल रेट कम है तो इस परिस्थिति में कम स्टांप ड्यूटी देनी होगी, जिससे अधिकारियों की जांच का खतरा हो सकता है।
7. ऑनलाइन सर्कल रेट टूल्स
कई राज्य अपने-अपने पोर्टल पर ऑनलाइन कैलकुलेटर प्रदान करते हैं, जिससे सर्कल रेट और गिफ्ट डीड के लिए अनुमानित स्टांप ड्यूटी की गणना की जा सकती है। इससे संपत्ति उपहार में देने की प्रक्रिया में आने वाले खर्चों की योजना बनाने में सहायता मिल सकती है।
गिफ्ट डीड पंजीकरण 2025 के लिए आवश्यक दस्तावेज
- गिफ्ट डीड की मूल प्रति
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- बिक्री पत्र (सेल डीड)
- पहचान प्रमाण (आईडी प्रूफ)
- रजिस्ट्रार द्वारा मांगे गए अन्य दस्तावेज
- दो गवाह
2025 में गिफ्ट डीड स्टांप ड्यूटी ऑनलाइन कैसे भरें?
- जिस राज्य में संपत्ति स्थित है, उसकी IGRS वेबसाइट पर जाएं और स्टांप ड्यूटी के ऑनलाइन भुगतान का ऑप्शन चुनें।
- भुगतान के लिए ‘गिफ्ट डीड ऑन अचल संपत्ति’ लेख का चयन करें।
2025 में गिफ्ट डीड स्टांप ड्यूटी ऑफलाइन कैसे भरें?
आप सब-रजिस्ट्रार ऑफिस (SRO) में जाकर ऑफलाइन भुगतान कर सकते हैं। संपत्ति जिस क्षेत्र में आती है, वहां के SRO कार्यालय में भुगतान करें और गिफ्ट डीड को निष्पादित करें।
स्टाम्प ड्यूटी दरों को प्रभावित करने वाले कारक
‘रक्त संबंधियों’ की परिभाषा: इसमें आमतौर पर माता-पिता, भाई-बहन, जीवनसाथी और बच्चे जैसे नजदीकी परिवार के सदस्य शामिल होते हैं। हालांकि, राज्यों के हिसाब से परिभाषा अलग हो सकती है, जो रियायती दरों के लिए पात्रता को प्रभावित करती है।
संपत्ति की लोकेशन: शहरी क्षेत्रों, विशेषकर नगर पालिका के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों पर ग्रामीण संपत्तियों की तुलना में अधिक स्टाम्प ड्यूटी लग सकती है।
संपत्ति का प्रकार: वाणिज्यिक संपत्तियों पर स्टाम्प ड्यूटी के नियम आवासीय संपत्तियों से अलग हो सकते हैं, भले ही वे रक्त संबंधियों के मध्य ही हो।
लिंग आधारित रियायतें: कुछ राज्य महिला रिश्तेदारों को संपत्ति उपहार में देने पर कम स्टाम्प ड्यूटी दरें प्रदान करते हैं, जिससे महिलाओं में संपत्ति स्वामित्व को बढ़ावा मिलता है।
कानूनी औपचारिकताएं
अनिवार्य पंजीकरण: गिफ्ट डीड को कानूनी रूप से मान्य बनाने के लिए इसे सही तरीके से स्टैम्पिंग और पंजीकरण करवाना आवश्यक है। ऐसा न करने पर कानूनी समस्याएं और जुर्माना हो सकता है।
दस्तावेज: जरुरी दस्तावेजों में दोनों पक्षों के पहचान पत्र, संबंध का प्रमाण और संपत्ति के साफ-सुथरे कागजात शामिल होना चाहिए।
पति-पत्नी या गोद लिए हुए परिवार के सदस्यों के बीच उपहार: राज्यवार अंतर
भारत में संपत्ति उपहार विलेखों (गिफ्ट डीड) पर स्टांप शुल्क राज्य और दाता-ग्राही के संबंध के आधार पर अलग-अलग होता है। कई राज्यों में करीबी रिश्तेदारों जैसे पति-पत्नी और गोद लिए हुए परिवार के सदस्यों के बीच हस्तांतरण के लिए रियायतें या छूट प्रदान की जाती हैं।
पति-पत्नी के बीच उपहार
- महाराष्ट्र: आवासीय या कृषि संपत्ति पति-पत्नी सहित करीबी रिश्तेदारों को उपहार में देने पर केवल 200 फीसदी का नाममात्र स्टांप शुल्क लगता है।
- दिल्ली: रिश्तेदारों जैसे पति-पत्नी के बीच उपहार विलेख पर स्टांप शुल्क आमतौर पर गैर-संबंधित पक्षों की तुलना में कम होता है। इन दरों की जानकारी दिल्ली सरकार की आधिकारिक स्टांप शुल्क और पंजीकरण वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती हैं।
- कर्नाटक: परिवार के सदस्यों जैसे पति-पत्नी को संपत्ति हस्तांतरण पर 1,000 रुपए का स्टांप शुल्क और साथ में लागू अधिभार व अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है।
दत्तक परिवार के सदस्यों को उपहार
भारतीय कानून के अनुसार, दत्तक बच्चों को आमतौर पर जैविक बच्चों के समान माना जाता है, जिससे उन्हें संपत्ति मामलों में समान अधिकार मिलते हैं। इसलिए जैविक बच्चों पर लागू स्टाम्प ड्यूटी रियायतें अक्सर दत्तक बच्चों पर भी लागू होती हैं। हालांकि यह प्रावधान राज्य के अनुसार अलग हो सकता है।
- मध्य प्रदेश: परिवार के सदस्यों, जैसे बच्चों को संपत्ति हस्तांतरण के लिए संपत्ति के बाजार मूल्य पर 2.5 फीसदी की रियायती स्टाम्प ड्यूटी दर लागू होती है।
- तमिलनाडु: परिवार के सदस्यों जैसे बच्चों को संपत्ति हस्तांतरण के लिए संपत्ति के बाजार मूल्य पर 7 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी लागू होती है।
सामान्य विचार
‘परिवार’ की परिभाषा:
‘परिवार’ की परिभाषा राज्यों के अनुसार अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सामान्यतः इसमें पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चे (गोद लिए हुए बच्चे भी) और भाई-बहन शामिल होते हैं। प्रत्येक राज्य की विशेष परिभाषाओं और रियायतों को जानना जरूरी है।
राज्यों में अंतर:
स्टांप ड्यूटी की दरें और छूट अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती हैं। सटीक जानकारी के लिए संबंधित राज्य के स्टांप ड्यूटी नियमों या आधिकारिक वेबसाइटों से जानकारी प्राप्त करना सही रहेगा।
कानूनी सहायता:
किसी कानूनी विशेषज्ञ या सलाहकार की मदद लेने से स्टांप ड्यूटी की दरों को समझने और राज्य-विशिष्ट नियमों के अनुसार गिफ्ट डीड तैयार करने में सुविधा हो सकती है।
गिफ्ट डीड की कानूनी आवश्यकताएं, रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
कोई व्यक्ति कानूनी प्रक्रिया को पूरा किए बगैर किसी भी संपत्ति को उपहार में देने का फैसला नहीं कर सकता।
- गिफ्ट डीड निर्धारित लिखित प्रारूप में होना चाहिए और इसमें संपत्ति की विस्तृत जानकारी के साथ दानकर्ता और उसके बारे में सभी विवरण होना चाहिए।
- गिफ्ट डीड के अंतर्गत भू-संपत्ति को बगैर किसी मौद्रिक विनिमय के स्वेच्छा से उपहार में दिया जाना चाहिए।
- दान प्राप्तकर्ता करने वाले को दानकर्ता के जीवन काल में या उसके मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही उससे संपत्ति स्वीकार करनी चाहिए।
- दानकर्ता को अपनी गिफ्ट डीड का रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए और नियमानुसार स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना चाहिए।
- गिफ्ट डीड को कम से कम 2 गवाहों (प्रत्यक्षदर्शियों) के द्वारा सत्यापित भी किया जाना चाहिए।
- यदि दानदाता आवश्यक स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान नहीं करता है तो उप-पंजीयक अधिकारी को गिफ्ट डीड के जरिए संपत्ति के स्थानांतरण को अस्वीकार करने का अधिकार है।
गिफ्ट डीड को लागू करने में कानूनी सलाह की क्या भूमिका है?
- एक वकील विशिष्ट गिफ्ट डीड को तैयार करने में मदद कर सकता है।
- एक वकील दानकर्ता द्वारा भुगतान किए जाने वाले स्टांप ड्यूटी की सही गणना करने में मदद करता है।
- एक वकील यह तय करता है कि सभी कानूनी आवश्यकताएं पूरी की गई हो ताकि आर्थिक लेन-देन सुचारू रूप से हो सके। यदि दस्तावेजीकरण सही नहीं है तो गिफ्ट डीड के माध्यम से संपत्ति का हस्तांतरण अस्वीकृत हो सकता है।
गिफ्ट डीड स्टांप ड्यूटी की प्रक्रिया में वकील कितनी फीस लेते हैं?
- गिफ्ट के रूप में प्राप्त संपत्ति के पंजीकरण के लिए ली जाने वाली कानूनी फीस राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
- फीस का निर्धारण केस की प्रकृति और उसे पूरा करने में लगने वाले समय पर निर्भर करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वकीलों की फीस 3-7 लाख रुपए या उससे अधिक हो सकती है, खासकर यदि मामला जटिल हो।
इसलिए वित्तीय योजना बनाते समय संपत्ति मूल्य का एक छोटा प्रतिशत वकील की फीस के रूप में अलग रखा जा सकता है।
रजिस्ट्रेशन के बाद तत्काल प्रभाव से लागू होती है गिफ्ट डीड
जो लोग अपनी प्रॉपर्टी को बतौर गिफ्ट दे रहे हैं, उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि जैसे ही गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड होगी, मालिक का उस संपत्ति से स्वामित्व खत्म हो जाएगा। गिफ्ट डीड के प्रावधान जैसे बिक्री या त्याग तुरंत प्रभाव में आ जाते हैं। इसके अलावा वसीयत के मामले में ऐसा नहीं होता है। वसीयत के प्रावधान तब ही लागू होते हैं, जब वसीयत बनाने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि गिफ्ट डीड तब ही लागू होती है, जब जरूरी स्टांप ड्यूटी का भुगतान कर दिया जाता है।
गिफ्ट डीड पर आयकर का प्रावधान
आयकर कानूनों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के द्वारा 1 वर्ष के दौरान प्राप्त सभी उपहारों का मूल्य 50000 रुपए से अधिक नहीं होता है तो इनकम टैक्स में छूट मिलती है।
यदि गिफ्ट में मिली अचल संपत्ति का मूल्य 50000 रुपए से अधिक है तो इनकम टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। यदि सभी उपहारों का मूल्य एक साथ 50,000 रुपए से अधिक है तो प्राप्त उपहारों का कुल मूल्य बिना किसी सीमा छूट के कर योग्य हो जाता है।
हालांकि आयकर कानून के मुताबिक, यदि करीबी रिश्तेदारों के बीच गिफ्ट्स दिए जाते हैं तो आयकर नियम इस मामले में थोड़ी राहत देते हैं। किसी चल या अचल संपत्ति को गिफ्ट के रूप में यदि किसी विशेष निकट संबंधी या रिश्तेदार को दिया जाता है तो इसे प्राप्त करने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इन विशेष निकट संबंधियों में माता-पिता, पत्नी/पति, भाई-बहन, पति या पत्नी के भाई-बहन या पति-पत्नी के वंशज आदि आते हैं।
यदि घर की संपत्ति किसी रिश्तेदार से उपहार के रूप में प्राप्त हुई है तो आपको इनकम टैक्स तब ही लगेगा, जब आप उस संपत्ति को बेचेंगे। ऐसे मामलों में आयकर के प्रयोजन के लिए लागत को उस लागत के रूप में लिया जाएगा, जो किसी भी पिछले मालिक द्वारा संपत्ति के लिए चुकाई गई थी। लाभ को अल्पकालिक या दीर्घकालिक माना जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी होल्डिंग अवधि और साथ ही पिछले मालिक, जिसने वास्तव में इसके लिए भुगतान किया था, का योग 24 महीने से अधिक है या नहीं।
यदि ऊपर दी गई गणना के मुताबिक, भू संपत्ति की होल्डिंग अवधि 24 महीने से कम है, तो ऐसी संपत्ति की बिक्री पर अर्जित लाभ को अल्पकालिक माना जाएगा और इसे आपकी नियमित आय में जोड़ा जाएगा और लागू स्लैब दर पर इनकम टैक्स लगाया जाएगा।
इसके अलावा यदि यदि होल्डिंग अवधि 24 महीने से अधिक है, तो आपको यह चुनने का मौका मिलेगा कि क्या आप संपत्ति की लागत पर इंडेक्सेशन का लाभ चाहते हैं, साथ ही आवासीय घर में निवेश करके या ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (REC) या भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के पूंजीगत लाभ बॉन्ड में निवेश करके 20 फीसदी दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर के भुगतान से छूट का दावा करने का विकल्प चाहते हैं या इंडेक्सेशन के बिना 12.5 फीसदी पर LTCG का भुगतान करना चाहते हैं। हालांकि यह केवल 23 जुलाई, 2024 से पहले रजिस्टर्ड सभी भू-संपत्तियों पर ही मान्य है।
23 जुलाई 2024 के बाद रजिस्टर्ड की गई सभी संपत्तियों के लिए 24 महीने की होल्डिंग अवधि के बाद LTCG कर बिना इंडेक्सेशन के 12.5 फीसदी होगा।
गिफ्ट की गई संपत्ति पर संपत्ति कर
जब संपत्ति गिफ्ट की जाती है, तो प्राप्तकर्ता उस संपत्ति का मालिक बन जाता है। इसके बाद संपत्ति प्राप्तकर्ता को संपत्ति के लिए वार्षिक संपत्ति कर अदा करने की जिम्मेदारी होती है। ध्यान दें कि अगर संपत्ति कर समय पर नहीं भरा जाता है तो डिफॉल्ट अवधि के लिए टैक्स का लगभग 2 फीसदी जुर्माना लगता है।
एनआरआई भारत में संपत्ति उपहार में कैसे दे सकते हैं?
भारत में संपत्ति उपहार में देने के लिए एनआरआई (नॉन-रेजिडेंट इंडियंस) कुछ विशेष कानूनी प्रक्रियाओं और कर से संबंधित पहलुओं का पालन करते हुए ऐसा कर सकते हैं। यहां इसकी विस्तार से जानकारी दी जा रही है:
1. संपत्ति उपहार देने की पात्रता
स्वीकृत संपत्ति प्रकार: एनआरआई आवासीय या वाणिज्यिक संपत्तियां उपहार में दे सकते हैं। हालांकि कृषि भूमि, बागवानी संपत्तियां या फार्म हाउस का उपहार देना सामान्यतः प्रतिबंधित है।
2. कानूनी आवश्यकताएं
● उपहार पत्र: संपत्ति का हस्तांतरण एक वैध और पंजीकृत उपहार पत्र के जरिए किया जाना चाहिए, जिसमें दाता, प्राप्तकर्ता और संपत्ति की जानकारी दी जाए।
● स्वीकारोक्ति: प्राप्तकर्ता को उपहार दाता के जीवित रहते हुए उपहार स्वीकार करना आवश्यक है, ताकि यह कानूनी रूप से मान्य हो सके।
● पंजीकरण: उपहार पत्र को स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय में पंजीकृत कराना चाहिए, जहां संपत्ति स्थित है।
3. कर संबंधी प्रभाव
○ रिश्तेदारों को उपहार: निर्धारित रिश्तेदारों जैसे पति-पत्नी, भाई-बहन और एक ही पीढ़ी के पूर्वजों या वंशजों को दिए गए उपहार आयकर से मुक्त होते हैं, चाहे संपत्ति का मूल्य कुछ भी हो।
○ गैर-रिश्तेदारों को उपहार: यदि संपत्ति का स्टांप ड्यूटी मूल्य 50,000 रुपए से अधिक है तो पूरी संपत्ति का मूल्य प्राप्तकर्ता के लिए ‘अन्य स्रोतों से आय’ के रूप में कर योग्य होता है।
○ स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क: राज्य के अनुसार स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क बदलते हैं और आमतौर पर संपत्ति के बाजार मूल्य पर आधारित होते हैं। कुछ राज्य रिश्तेदारों के बीच उपहारों के लिए छूट प्रदान करते हैं।
○ पूंजीगत लाभ कर: उपहार देने वाले को संपत्ति देने पर कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं लगता। हालांकि, यदि प्राप्तकर्ता भविष्य में संपत्ति को बेचता है तो पूंजीगत लाभ कर लागू होगा, जिसमें उपहार देने वाले का स्वामित्व काल भी शामिल होगा।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) अनुपालन
● अनुमति प्राप्त लेन-देन: एक NRI को संपत्ति उपहार देना FEMA के तहत अनुमति प्राप्त है, बशर्ते कि इसमें सभी नियमों का पालन किया गया हो।
● बिक्री से प्राप्त धन की प्रत्यावर्ती: यदि प्राप्तकर्ता उपहार की गई संपत्ति को बेचने का निर्णय लेता है, तो बिक्री से प्राप्त धन की प्रत्यावर्तन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के अधीन होगी, जो सामान्यत: प्रति वित्तीय वर्ष 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक की अनुमति देता है।
5. दस्तावेज
● पहचान और पते का प्रमाण: दाता और प्राप्तकर्ता दोनों को वैध पहचान और पते का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
● पैन कार्ड: उपहार पत्र और कर उद्देश्यों के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) आवश्यक है।
● बंधक प्रमाण पत्र: यह प्रमाण पत्र इस बात की पुष्टि करता है कि संपत्ति पर कोई कानूनी देनदारी नहीं है।
6. कानूनी सहायता
सभी कानूनी और प्रक्रियागत आवश्यकताओं का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी पेशेवर की सहायता लेना उचित है, जिसमें उपहार पत्र तैयार करना, स्टांप ड्यूटी की गणना करना और पंजीकरण में मदद करना शामिल है।
7. हाल ही में हुए संशोधन
5 जुलाई, 2019 से भारत के बाहर से किसी व्यक्ति द्वारा एक निवासी से बिना किसी विचार के प्राप्त की गई कोई भी धनराशि भारत में उत्पन्न या अर्जित मानी जाती है और उस पर टैक्स लगाया जाता है। हालांकि, यह संशोधन मुख्य रूप से मौद्रिक उपहारों से संबंधित है और इसका अचल संपत्ति के उपहारों पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता।
क्या आप अपनी गिफ्ट दी हुई प्रॉपर्टी को वापस ले सकते हैं?
आप अपना दिया हुआ गिफ्ट वापस ले सकते हैं लेकिन इस पहलू को रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड में लिखवाना जरूरी है. ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के सेक्शन 126 के तहत सौदा रद्द करना तब तक संभव नहीं होगा, जब तक कि डोनर रजिस्टर्ड कॉन्ट्रैक्ट में इसका जिक्र नहीं करता है कि गिफ्ट वापस लेने का अधिकार उसके पास है.
इसका मतलब यह है कि गिफ्ट डीड का मसौदा तैयार करते समय, प्रॉपर्टी गिफ्ट करने वाले को साफ तौर पर इस बात का जिक्र करना होगा कि गिफ्ट डीड लागू होने के बाद भी, प्रॉपर्टी गिफ्ट करने वाले के पास गिफ्ट डीड को रद्द करने और डीड से गिफ्ट वापस लेने का अधिकार होगा, जब भी वह ऐसा करना चाहे.
यह भी देखें: धारा 194IA के तहत संपत्ति के हस्तांतरण पर टीडीएस लागू होने से संबंधित पूरी जानकारी
उपहार विलेख को रद्द करने की शर्तें क्या हैं?
गिफ्ट डीड को रद्द करने के लिए निम्नलिखित चरण हैं:
- गिफ्ट डीड को रद्द करने की परिस्थितियों के बारे में दाता और प्राप्तकर्ता के बीच एक क्लॉज़ या समझ होना महत्वपूर्ण है। यह कोई विफलता या विशेष घटना हो सकती है।
- उपहार प्राप्त करते समय गिफ्ट डीड को रद्द करने की शर्त प्राप्तकर्ता द्वारा स्वीकार की जानी चाहिए और यह केवल दाता की मर्जी पर आधारित नहीं होनी चाहिए।
- कोई भी उपहार जो किसी धोखाधड़ी पर आधारित नहीं था, उसे एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामलों में, दाता और प्राप्तकर्ता को इसे रद्द करने के लिए अदालत में जाना होगा।
यह भी देखें: कारपेट एरिया के बारे में सब कुछ
उपहार विलेख के नुकसान क्या हैं
- अपरिवर्तनीय: एक बार निर्णय लेने के बाद उसे पलटा नहीं जा सकता, जब तक कि कोई मजबूत कारण न हो और वह कानून की अदालत द्वारा स्वीकार न किया जाए। इसलिए, जब तक कोई पूरी तरह से सुनिश्चित न हो, उपहार विलेख को लागू करने से बचना चाहिए।
- दाता की संपत्ति पर नियंत्रण समाप्त: कानून के अनुसार, एक बार उपहार विलेख लागू हो जाने के बाद, दाता उपहार दी गई संपत्ति पर नियंत्रण खो देता है। इसलिए, इसे लागू करने से पहले बहुत सावधानी बरतनी चाहिए कि क्या वे सच में यही चाहते हैं। इसके अतिरिक्त, प्राप्तकर्ता इस प्रणाली का दुरुपयोग कर सकता है और उन करों का भुगतान करने से बच सकता है जो उसे करने चाहिए।
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गिफ्ट डीड से जुड़े भ्रम क्या हैं
आप अपनी प्रॉपर्टी को पसंद के मुताबिक गिफ्ट में दे सकते हैं: आप ऐसी ही प्रॉपर्टी को गिफ्ट में दे सकते हैं, जो आपने खुद बनाई हो और जिसके आप मालिक हों. किसी भी प्रकार की साझा प्रॉपर्टी को गिफ्ट में नहीं दिया जा सकता. यह पैतृक संपत्ति के मामले में सच है.
चूंकि यह गिफ्ट है इसलिए इस पर टैक्स नहीं लगेगा: ज्यादा महंगे गिफ्ट्स पर उसे पाने वाले को टैक्स देना होगा। चूंकि सारी प्रॉपर्टी काफी महंगे गिफ्ट्स होते हैं लिहाजा स्टांप ड्यूटी की उलझनें पैदा होगा।
कोई भी प्रॉपर्टी गिफ्ट कर सकता है: कोई भी शख्स जो मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ है वह प्रॉपर्टी गिफ्ट कर सकता है. वरना गिफ्ट डीड को रद्द माना जाएगा.
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Housing.com का पक्ष
कोई भी संपत्ति जिसे लेन-देन के तहत खरीदा या बेचा जाता है, उसे कानूनी रिकॉर्ड में पंजीकृत करना अनिवार्य होता है और स्टांप शुल्क के रूप में टैक्स चुकाना होता है। यदि संपत्ति उपहार स्वरूप दी जा रही हो तो स्टांप शुल्क देने की जिम्मेदारी उपहार देने वाले व्यक्ति की होती है। इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की चूक को अवैध माना जाएगा और संपत्ति को उपहार स्वरूप मिली हुई अचल संपत्ति नहीं माना जाएगा। इस बात का ध्यान देना चाहिए कि उपहार स्वरूप संपत्ति पर स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क भी सामान्य संपत्ति पंजीकरण के समान होता है। एक बार संपत्ति उपहार के रूप में स्टांप और पंजीकृत हो जाने के बाद उस संपत्ति के सभी अधिकार प्राप्तकर्ता को स्थानांतरित हो जाते हैं और दाता का उस पर कोई अधिकार नहीं रहता।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या होती है गिफ्ट डीड?
गिफ्ट डीड एक दस्तावेज होता है, जो एक से दूसरे शख्स को बतौर गिफ्ट प्रॉपर्टी ट्रांसफर करता है. गिफ्ट डीड सिर्फ तब वैध होती है, जब यह परिवार के किसी सदस्य/दोस्त द्वारा दूसरे के बदले में कोई विचार किए बिना हो. रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के सेक्शन 17 के मुताबिक, गिफ्ट डीड को रजिस्टर कराना अनिवार्य है.
प्रॉपर्टी के लिए गिफ्ट डीड कैसे बनाएं?
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के मुताबिक, गिफ्ट के तहत आवासीय संपत्ति का ट्रांसफर एक दस्तावेज/इंस्ट्रूमेंट के तहत होना चाहिए. इस पर प्रॉपर्टी को गिफ्ट करने वाले शख्स की ओर से दस्तखत या कम से कम दो गवाहों द्वारा रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए.
क्या आप गिफ्ट डीड को चुनौती दे सकते हैं?
उपहार विलेख को उसकी कानूनी वैधता के आधार पर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जो कि समय सीमा और उसकी अवैधता के प्रमाण पर निर्भर करता है। इसे निम्नलिखित आधारों पर चुनौती दी जा सकती है: 1. यदि उपहार विलेख ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और उसका पंजीकरण नहीं हुआ। 2. यदि उपहार के लिए तय शर्तों को प्राप्त कर्ता ने पूरा नहीं किया। 3. यदि उपहार विलेख के किसी भी पक्षकार को अनुबंध करने के लिए अयोग्य माना गया हो।
गिफ्ट डीड कौन दे सकता है?
किसी अचल संपत्ति का मालिक, उस प्रॉपर्टी को अपने किसी रिश्तेदार या किसी तीसरे व्यक्ति को उपहार के रूप में दे सकता है। उपहार में दी गई किसी भी प्रॉपर्टी को कानूनी रूप से तभी वैध माना जाता है, जब वह अपनी इच्छा से और बदले में कुछ प्राप्त किए बगैर दिया गया हो।
एक वकील गिफ्ट डीड में कैसे मदद कर सकता है?
वकील गिफ्ट डीड के कानूनी दस्तावेज और संचालन के लिए जिम्मेदार होता है। गिफ्ट डीड एक कानूनी दस्तावेज है जिसे केवल एक वकील के मार्गदर्शन में कार्यान्वित किया जा सकता है। इस प्रकार, वकील गिफ्ट डीड का ड्राफ्ट तैयार करने और पंजीकरण में मदद करता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि इस प्रक्रिया में सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा किया जाए।
क्या भारत में गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी देना आवश्यक है?
हां! भारत में गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी देना आवश्यक है।
अगर परिवार के सदस्यों के बीच प्रॉपर्टी गिफ्ट की जाए क्या तो भी स्टांप ड्यूटी देना आवश्यक है?
भारत के कुछ राज्यों में अगर सगे संबंधियों के बीच प्रॉपर्टी गिफ्ट की जाए तो स्टांप ड्यूटी देना आवश्यक नहीं है लेकिन ज्यादातर राज्यों में ऐसा नहीं है।
अगर प्रॉपर्टी किसी NGO को गिफ्ट में दी जाती है तो क्या होगा?
आमतौर पर अगर कोई प्रॉपर्टी किसी NGO को गिफ्ट में दी जाती है तो उस पर स्टांप शुल्क नहीं लगाया जाता है। हालांकि NGO को प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन के चार महीने के भीतर इसे पंजीकृत करना होगा। इसके अलावा कुछ गैर सरकारी संगठनों को गिफ्ट में प्रॉपर्टी लेने की अनुमति नहीं है।
क्या गिफ्ट डीड को रद्द किया जा सकता है?
हाँ, गिफ्ट डीड को रद्द किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए विशेष शर्तें होती हैं और ये शर्तें अलग-अलग क्षेत्राधिकार में भिन्न हो सकती हैं।
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