रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (रेरा / RERA) एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था. रेरा का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है. 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल को पास किया था. इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया. 1 मई 2016 को इसे लागू किया गया. 92 में से 59 सेक्शन्स 1 मई 2016 को नोटिफाई किए गए और बाकी के प्रावधान 1 मई 2017 से लागू कर दिए गए. इस कानून के तहत, अगले 6 महीने में केंद्रीय कानून के मॉडल नियमों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को अपने नियम नोटिफाई करने हैं.
यहां घर खरीदारों के लिए रेरा स्वीकृत परियोजनाओं और रेरा के लाभों पर एक गाइड है।
रेरा फुल फॉर्म: रेरा कानून क्या है?
रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी) की स्थापना रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डेवलपमेंट) अधिनियम, 2016 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित (रेग्युलेट) करना और घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान करना था। इसके उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- आवंटियों के हितों की रक्षा और उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित करना.
- पारदर्शिता सुनिश्चित करना और धोखाधड़ी के मामलों को घटाना.
- पूरे भारत में मानकीकरण को लागू करना और व्यावसायिकता लाना.
- घर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सही जानकारी का प्रसार करना.
- बिल्डरों और निवेशकों दोनों पर अधिक से अधिक जिम्मेदारियां डालना.
- रियल एस्टेट सेक्टर की विश्वसनीयता बढ़ाने के साथ-साथ इस तरह निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ाना.
काफी वक्त से घर खरीददार इस बात की शिकायत कर रहे थे कि रियल एस्टेट की लेनदेन एकतरफा और ज्यादातर डिवेलपर्स के हक में थीं। रेरा और सरकार के मॉडल कोड का मकसद मुख्य बाजार में विक्रेता और संपत्ति के खरीददार के बीच न्यायसंगत और सही लेनदेन तय करना है। उम्मीद की जा रही है कि रेरा बेहतर जवाबदेही और पारदर्शिता लाकर रियल एस्टेट की खरीद को आसान बनाएगा। साथ ही राज्यों के प्रावधान केंद्रीय कानून की भावना को कमजोर नहीं करेंगे। रेरा भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री का पहला रेगुलेटर है। रियल एस्टेट एक्ट के तहत यह अनिवार्य किया गया कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने रेगुलेटर और नियमों का गठन करेंगे, जिसके मुताबिक कामकाज होगा।
नवंबर 2021 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रेरा का रजिस्ट्रेशन
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | नोटिफिकेशन का स्टेटस |
अरुणाचल प्रदेश | नोटिफाइड (वेबसाइट अभी लॉन्च होनी है) |
असम | नोटिफाइड (वेबसाइट अभी लॉन्च होनी है) |
केरल | नोटिफाइड (वेबसाइट लॉन्च हो गई है) |
मणिपुर | नोटिफाइड (वेबसाइट अभी लॉन्च होनी है) |
मेघालय | नोटिफाइड (वेबसाइट अभी लॉन्च होनी है) |
मिजोरम | नोटिफाइड (वेबसाइट लॉन्च हो गई है) |
नगालैंड | जल्द ही नोटिफाई होना है |
सिक्किम | नोटिफाइड (वेबसाइट अभी लॉन्च होनी है) |
त्रिपुरा | नोटिफाइड (वेबसाइट लॉन्च हो गई है) |
पश्चिम बंगाल | HIRA के तहत नोटिफाइड |
लक्षद्वीप | नोटिफाइड (वेबसाइट लॉन्च हो गई है) |
पुडुचेरी | नोटिफाइड (वेबसाइट लॉन्च हो गई है) |
वो राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, जिनकी वेबसाइट एक्टिव हैं
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | दिसंबर 2020 तक रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स | रजिस्टर्ड एजेंट्स |
आंध्र प्रदेश | 1,321 | 119 |
बिहार | 939 | 317 |
छत्तीसगढ़ | 1,194 | 512 |
गोवा | – | – |
गुजरात | 7,791 | 1,353 |
हरियाणा | 420 | 1,398 |
हिमाचल प्रदेश | 71 | 66 |
झारखंड | 433 | 4 |
कर्नाटक | 4,474 | 2,478 |
मध्य प्रदेश | 2,822 | 738 |
महाराष्ट्र | 27,762 | 26,620 |
ओडिशा | 405 | 48 |
पंजाब | 974 | 2,162 |
राजस्थान | 1,395 | 1,816 |
तमिलनाडु | 736 (only in 2020) | 500+ |
तेलंगाना | 2,417 | – |
उत्तर प्रदेश | 1,523 | 4,188 |
उत्तराखंड | 139 | 83 |
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह | – | – |
दादरा एवं नगर हवेली | 96 | 2 |
दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) | 18 | 70 |
रेरा कानून: रेरा अप्रूवल और उसके लाभ
- कोई भी अतिरिक्त इजाफा या परिवर्तन के बारे में आवंटियों को सूचना देना।
- किसी भी इजाफे या बदलाव के बारे में 2/3 आवंटियों की मंजूरी की जरूरत होगी।
- रेरा में रजिस्ट्रेशन से पहले किसी तरह का लॉन्च या विज्ञापन नहीं किया जाएगा।
- अगर बहुमत अधिकार तीसरे पक्ष को ट्रांसफर किया जाना है तो 2/3 सहमति की जरूरत होगी।
- प्रोजेक्ट प्लान, लेआउट, सरकारी मंजूरी और लैंड टाइटल स्टेटस और उप-ठेकेदारों की जानकारी साझा करना।
- वक्त पर प्रोजेक्ट पूरा होकर ग्राहकों को मिल जाए, इस पर जोर दिया जाएगा।
- पांच साल की दोष दायित्व अवधि के कारण कंस्ट्रक्शन की क्वॉलिटी में इजाफा।
- ब्योरेवार समय या काफी फ्लैट्स बिक जाने के बाद आरडबल्यूए का गठन।
पेनाल्टी: इस कानून का उल्लंघन न हो, इसके लिए सख्त जुर्माने (प्रोजेक्ट की लागत का 10 प्रतिशत) का प्रावधान है।
RERA के तहत कारपेट एरिया की परिभाषा
RERA के मुताबिक कारपेट एरिया किसी अपार्टमेंट का इस्तेमाल होने वाला एरिया होता है, जिसमें बाहरी दीवारों का एरिया, सर्विस शाफ्ट, बालकनी और वरांडा एरिया शामिल नहीं होते। फ्लैट के अंदर की दीवारों का एरिया इसका हिस्सा होता है।सुमेर ग्रुप के सीईओ राहुल शाह ने कहा, RERA की गाइडलाइंस के मुताबिक, बिल्डर को सटीक कारपेट एरिया की जानकारी देनी होगी, ताकि ग्राहकों को यह पता चल सके कि वह किसके लिए भुगतान कर रहे हैं। लेकिन कानून के तहत बिल्डरों को कारपेट एरिया के आधार पर फ्लैट बेचना अनिवार्य नहीं है।
यह भी देखें: रेरा कारपेट एरिया को कैसे परिभाषित किया जाता है?
रेरा के फायदे
इंडस्ट्री | डेवेलपर | खरीदार | एजेंट्स |
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रियल एस्टेट इंडस्ट्री पर RERA का असर
- शुरुआती बैकलॉग
- प्रोजेक्ट की बढ़ी हुई लागत
- चुस्त नकदी
- पूंजी की लागत में इजाफा
- एकत्रीकरण
- प्रोजेक्ट लॉन्च टाइम में बढ़ोतरी
शुरुआती तौर पर मौजूदा और नए प्रोजेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन पर काफी काम करना होगा। पिछले पांच वर्षों में पूरे हुए प्रोजेक्ट्स का स्टेटस, प्रोमोटर की जानकारी, विस्तृत निष्पादन योजना तैयार करने की जरूरत है।
RERA के आने से घर खरीद से जुड़े सभी विवादों का निपटारा स्टेट रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी और रियल एस्टेट अपीलीय ट्रिब्यूनल करेगा। एेसे मामलों के लिए सिविल कोर्ट या कंज्यूमर फोरम का सहारा नहीं लिया जाएगा। मामलों के तेजी से निपटारे के लिए RERA ने मूल सिद्धांत तय किए हैं। इसकी सफलता वक्त पर विवादों का निपटारा करने वाली संस्थाओं का गठन और कैसे इन विवादों को सुलझाया जाएगा, इस पर निर्भर करेगा।
रेरा द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट्स: कौन से प्रोजेक्ट्स को रेरा से स्वीकृति मिल सकती है?
- प्लॉटेड डिवेलपमेंट के अलावा कमर्शियल और रिहायशी प्रोजेक्ट्स
- 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा या 8 यूनिट्स वाले प्रोजेक्ट्स।
- कानून के लागू होने से पहले बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट वाले प्रोजेक्ट्स।
- जिस प्रोजेक्ट का मकसद रेनोवेशन, रिपेयर, री-डिवेलपमेंट है और पुन: आवंटन, मार्केटिंग, विज्ञापन, नए अपार्टमेंट्स की बिक्री या नया आवंटन नहीं करना है, वह RERA के तहत नहीं आएंगे।
- हर चरण को नया रियल एस्टेट प्रोजेक्ट माना जाएगा, जिसके लिए नया रजिस्ट्रेशन होगा।
किन चीजों पर बिल्डर को माननी होगी RERA की बात
- प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन
- विज्ञापन
- निकासी – पीओसी विधि
- कारपेट एरिया
- वेबसाइट अपडेशन/भंडाफोड़
- प्रोजेक्ट में बदलाव-2/3 अलॉटीज की मंजूरी
- प्रोजेक्ट अकाउंट्स-अॉडिट
- अलॉटी से लिया गया 70 प्रतिशत फंड प्रोजेक्ट के अकाउंट में जमा कराना होगा। इसका इस्तेमाल सिर्फ निर्माण और जमीन की लागत को कवर करने के लिए होगा।
- पर्सेंटेज कंप्लीशन मेथड के अनुपात में निकासी होगी।
- निकासी किसी इंजीनियर, आर्किटेक्ट या सीए द्वारा सर्टिफाइड होनी चाहिए।
- गैर-अनुपालन पर प्रोजेक्ट के बैंक खाते फ्रीज करने के RERA के प्रावधान।
- देरी पर ब्याज कंज्यूमर और प्रोमोटर दोनों के लिए एक समान होगा।
RERA के तहत बिल्डर को क्या-क्या जानकारियां देनी होंगी
- नंबर, टाइप और अपार्टमेंट का कारपेट एरिया।
- किसी भी बड़े इजाफे या बदलाव के लिए प्रभावित आवंटियों से सहमति।
- ना बिक पाने वाली इन्वेंट्री या लंबित मंजूरियों जैसी जानकारियों को हर तिमाही में RERA की वेबसाइट पर अपडेट करना।
- तय वक्त में प्रोजेक्ट पूरा करना।
- विज्ञापन में झूठे बयान या कमिटमेंट नहीं करना।
- प्रोमोटर मनमाने ढंग से यूनिट को रद्द नहीं कर सकता।
RERA के तहत कैसे रजिस्टर कराएं प्रोजेक्ट्स
- RERA के तहत प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराते वक्त सभी मंजूरियों का प्रमाणपत्र, प्रारंभिक प्रमाणपत्र, मंजूर किया गया प्लान, लेआउट प्लान, स्पेसिफिकेशन, विकास कार्य का प्लान, प्रस्तावित सुविधाएं, अलॉटमेंट लेटर, सेल अग्रीमेंट और कन्वेयंस डीड पेश करने पड़ते हैं।
- नए और मौजूदा प्रोजेक्ट्स का लॉन्च से पहले RERA के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
- RERA और RERA अपीलीय ट्रिब्यूनल में विवाद का 6 महीने में निपटारा।
- एक ही प्रोजेक्ट के विभिन्न चरणों का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन होगा।
- डिवेलपर्स को RERA को पिछले 5 वर्षों में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट का उनके स्टेटस के साथ ब्योरा दोना होगा। साथ ही बताना होगा कि देरी क्यों हुई।
- RERA की वेबसाइट पर अपडेट।
- अगर डिवेलपर की गलती नहीं है और देरी हुई है तो अधिकतम 1 साल का एक्सटेंशन लिया जा सकता है।
- सीए द्वारा प्रोजेक्ट के अकाउंट का सालाना अॉडिट।
- आरडब्ल्यूए के फेवर में कॉमन एरिया का कन्वेयंस डीड।
- निर्माण और लैंड टाइटल का इंश्योरेंस।
- प्रोजेक्ट के पूरा होने की समयावधि।
निर्माण और जमीन के टाइटल के लिए बीमा लागत को RERA कैसे प्रभावित करेगा?
- आंतरिक संचय से भूमि और मंजूरी की लागत को बाहर किया जाएगा क्योंकि प्रीलॉन्च का कॉन्सेप्ट खत्म हो जाएगा। वर्तमान ऋण वित्तपोषण की जगह इक्विटी वित्तपोषण ले लेगा। पूंजी की लागत में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि डिवेलपर्स को अब जमीन और मंजूरी की लागत के लिए फंड इक्विटी के जरिए जुटाना होगा।
- मंजूरी मिलने में देरी के कारण डिवेलपर्स के लिेए ऋण वित्तपोषण सही रास्ता नहीं रह गया है। चूंकि इस सेक्टर में आना मुश्किल हो गया है, इसलिए एकत्रीकरण की संभावना है।
- कोई प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए मजबूत वित्तीय और निष्पादन क्षमता की जरूरत होगी।
- प्रोजेक्ट लॉन्च करने का समय बढ़ सकता है क्योंकि विवरण को अंतिम रूप देने में बहुत समय लगेगा।
- ड्राइंग, यूटिलिटी लेआउट आदि जैसे विवरणों को प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले अंतिम रूप देना होगा।
एजेंट्स रेरा से अप्रूवल कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
- RERA रजिस्ट्रेशन के बिना कोई एजेंट किसी प्रोजेक्ट को नहीं बेच सकता।
- जो भी बिक्री एजेंट करेंगे, उसमें उनका RERA नंबर भी लिखा होगा।
- रजिस्ट्रेशन को रिन्यू भी कराना होगा।
- अगर नियमों का उल्लंघन किया गया तो रजिस्ट्रेशन रद्द या ब्लॉक किया जा सकता है।
- कोई एजेंट बिना रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट को नहीं बेच सकता।
- किताबें और रिकॉर्ड बनाए रखें।
- व्यापार की गलत नीतियों में शामिल न हों।
- कोई गलत बयान-मौखिक, लिखित, विजुअल
- विशेष मानक वाली सर्विसेज का प्रतिनिधित्व
- प्रतिनिधित्व करें कि प्रोमोटर या खुद के पास अप्रूवल या संबंधन है।
- अखबार में विज्ञापन के प्रकाशन को अनुमति देना और गलत सेवाओं की पेशकश नहीं करना।
- ग्राहकों को बुकिंग के वक्त सभी डॉक्युमेंट्स मुहैया कराना।
रियल एस्टेट एजेंट्स पर क्या होगा RERA का असर
रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डिेवेलपमेंट एक्ट), (RERA) के तहत रियल एस्टेट एजेंटों को लेनदेन की सुविधा के लिए खुद को रजिस्टर्ड कराना होगा। भारत में ब्रोकर्स का सेगमेंट करीब 4 बिलियन डॉलर की इंडस्ट्री है। पूरे देश में 5 से 9 लाख ब्रोकर्स हो सकते हैं। हालांकि यह पारंपरिक रूप से असंगठित और अनियमित हैं।
आरई/मैक्स इंडिया के चेयरमैन और फाउंडर सैम चोपड़ा ने कहा, यह इंडस्ट्री में जवाबदेही लाएगा, क्योंकि जो पेशेवर और पारदर्शी बिजनेस में यकीन करते हैं, वे पूरा फायदा उठा ले जाएंगे। अब एजेंट्स का रोल और अहम हो जाएगा, क्योंकि उन्हें ग्राहक को सही जानकारी और RERA के तहत रजिस्टर्ड डिवेलपर चुनने में मदद भी करनी होगी।
RERA के आने के बाद ब्रोकर्स किसी भी एेसी सुविधा या सेवा का वादा नहीं कर सकते, जो दस्तावेज में न लिखी हो। इतना ही नहीं, उन्हें बुकिंग के वक्त ग्राहकों को पूरी जानकारी और दस्तावेज मुहैया कराने होंगे। RERA को गैरजिम्मेदाराना और अनुभवहीन ब्रोकर्स की पहचान करनी होगी, क्योंकि नियम से न चलने वाले दलालों को भारी जुर्माना, जेल या दोनों हो सकते हैं।
रेरा के अनुसार, अगर बिल्डर पोजेशन में देरी करता है तो क्या होगा?
रेरा अधिनियम की धारा 18 के तहत, यदि प्रमोटर की ओर से संपत्ति के कब्जे में देरी होती है, तो उपभोक्ता समझौते को समाप्त कर सकता है और पैसे वापस करने का अनुरोध कर सकता है। प्रमोटर को उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई पूरी राशि ब्याज सहित वापस करनी होगी। धारा 18 उपभोक्ता को परियोजना के साथ जारी रखने और पोजेशन तक हर महीने की देरी के लिए डेवलपर से मुआवजे का दावा करने का अधिकार भी देता है।
डेवलपर द्वारा देय ब्याज दर और ऐसी शिकायत का प्रारूप रेरा नियमों के तहत बताया गया है, जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होते हैं। उपभोक्ता पोजेशन मिलने में देरी होने पर अधिनियम की धारा 31 के तहत डेवलपर के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। धारा 31 के अनुसार, कोई भी पीड़ित व्यक्ति उक्त अधिनियम के उल्लंघन के लिए नियामक प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायत घर खरीदार के साथ-साथ एसोसिएशन ऑफ अलॉटी द्वारा भी दर्ज की जा सकती है।
एेसे दर्ज कराएं RERA में शिकायत
RERA के तहत लागू सजा
लागू धाराएं | अपराध | लागू सजाएं |
सेक्शन 9 (7) |
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एजेंट का रजिस्ट्रेशन नंबर रद्द किया जाएगा |
सेक्शन 9 और 10 का उल्लंघन |
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10,000 रुपये प्रति दिन की सजा, जिस दौरान डिफॉल्ट यूनिट की लागत का 5% तक बढ़ाया जाता है |
सेक्शन 65 |
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बेची गई यूनिट की कीमत का 5 प्रतिशत जुर्माना |
सेक्शन 66
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एक साल जेल या बेची गई यूनिट की कीमत का 10 प्रतिशत जुर्माना |
प्रोजेक्ट के प्लान्स को बदलने के लिए क्या रेरा बिल्डर्स की ओर से जबरन सहमति के अग्रीमेंट्स को पलट सकता है?
रेरा के सेक्शन 14 के मुताबिक घर ग्राहकों से बिना पूर्व मंजूरी लिए डेवेलपर्स प्रोजेक्ट के मंजूरं किए गए प्लान में किसी तरह का संशोधन नहीं कर सकते. सेक्शऩ 14 के मुताबिक किसी अपार्टमेंट के प्लान्स या स्पेसिफिकेशन्स में किसी भी तरह के बदलाव की इजाजत तभी दी जा सकती है, जब घर खरीदार ने इसकी लिखित इजाजत दी हो. दूसरी ओर, जब तक डेवेलपर प्रोजेक्ट में सभी घर खरीदारों (या आवंटियों) के दो-तिहाई हिस्से से पहले ही लिखित सहमति हासिल नहीं करता है, तब तक पूरा प्रोजेक्ट और इमारत के सामान्य क्षेत्रों के लेआउट में परिवर्तन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है. बॉम्बे हाई कोर्ट को मधुविहार कॉरपोरेटिव हाउसिंग सोसाइटी बनाम अन्य बनाम जयंतीलाल इन्वेस्टमेंट्स व अन्य 2010 (6) Bom CR 517 फ्लैट्स एक्ट (MOFA), 1963 के महाराष्ट्र स्वामित्व की धारा 7 की व्याख्या करने का मौका मिला था, जो कि RERA की धारा 14 के समान है. यह माना जाता है कि घर खरीदार की मंजूरी ‘सूचित सहमति’ होनी चाहिए. यानी जो एक फ्लैट खरीदार को उस प्रोजेक्ट या स्कीम का नोटिस देना, जो बिल्डर उस प्रोजेक्ट में लागू करना चाहता है. इसके अलावा, डेवेलपर की किसी विशेष परियोजना या योजना के लिए मंजूरी विशिष्ट और संबंधित होनी चाहिए जो कि एक इरादा है.
बेंच ने आगे कहा कि आवरण या आम सहमति, जो डेवेलपर्स द्वारा पहले ही ले ली गई हैं, समझौते पर दस्तखत कराने वक्त, वो कानूनी तौर पर मान्य हैं. चूंकि MOFA का सेक्शन 7 रेरा के सेक्शन 14 के अनुरूप है इसलिए मधुविहार कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी मामले का फैसला रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण और रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने आने वाले सभी मामलों के लिए अच्छा रहेगा.
राज्यों में रेरा
26 मार्च, 2022 तक 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (25 नियमित और 6 अंतरिम) की स्थापना की है। लद्दाख, मेघालय, सिक्किम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने नियमों को अधिसूचित (नोटिफाई) किया है लेकिन अभी तक प्राधिकरण स्थापित नहीं किया है। रेरा के तहत हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का अपना नियामक (रेग्युलेटर) होना चाहिए। डेवलपर्स अपनी चल रही या आगामी परियोजनाओं को तब तक नहीं बेच पाएंगे, जब तक वे राज्यों में स्थायी या अंतरिम नियामक के साथ पंजीकरण नहीं कराते हैं। नागालैंड को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित कर दिया है। नागालैंड अभी नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में है।
रियल एस्टेट अधिनियम के तहत कुल 28 राज्यों ने अंतरिम रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण नियुक्त किए हैं, जिनमें 24 नियमित और चार अंतरिम शामिल हैं। 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नियामक प्राधिकरणों ने रेरा के प्रावधानों के अनुसार अपनी वेबसाइटों का संचालन किया है।
महाराष्ट्र रेरा
महाराष्ट्र रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (MahaRERA) 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आया था।भारत में सबसे सक्रिय रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों में से एक माना जाने वाला, महाराष्ट्र वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के जरिए रेरा की धारा 32 (जी) के तहत सुलह तंत्र शुरू करने वाला पहला राज्य बना। कोई भी परेशान आवंटी या प्रोमोटर (RERA में परिभाषित) महाराष्ट्र रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के तहत सुलह व्यवस्था का आह्वान कर सकता है। इसके लिए एक वेबसाइट बनाई गई है, जिसे MahaRERA की वेबसाइट के जरिए भी चलाया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश रेरा
उत्तर प्रदेश रेरा के दो केंद्र हैं एक लखनऊ में और दूसरा एनसीआर में. उत्तर प्रदेश रेरा के नियम साल 2016 में नोटिफाई किए गए थे और राज्य की रेरा की वेबसाइट 26 जुलाई 2017 को लॉन्च की गई थी.
कर्नाटक रेरा
कर्नाटक RERA 2016 के नयम कैबिनेट ने 5 जुलाई 2017 को मंजूर किए थे. कर्नाटक रेरा के नियमों के मुताबिक, हर प्रोमोटर, चालू प्रोजेक्ट और रियल एस्टेट एजेंट को आम आदमी तक पहुंचने से पहले उसे कर्नाटक रेरा में रजिस्टर कराना होगा. कर्नाटक रेरा की वेबसाइट के मुताबिक करीब 3803 प्रोजेक्ट्स, 2101 रियल एस्टेट एजेंट्स और 3,775 शिकायतें फरवरी 2020 तक रजिस्टर्ड की गईं.
तमिलनाडु रेरा
तमिलनाडु रेरा के नियम 22 जून 2017 को नोटिफाई हुए थे. TNRERA का अधिकार क्षेत्र तमिलनाडु के साथ-साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक है. प्रोजेक्ट्स शामिल हैं या बाहर हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि अन्य फैक्टर्स के बीच क्या वे चेन्नई मेट्रोपॉलिटन एरिया (सीएमए) के बाहर हैं या अंदर.
हरियाणा रेरा
हरियाणा रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) नियम 2017 28 जुलाई 2017 को लागू हुए थे जबकि हरियाणा रेरा (www.haryanarera.gov.in) की वेबसाइट 4 अक्टूबर 2018 को लॉन्च हुई थी. RERA हरियाणा का पंचकूला और गुरुग्राम में अलग-अलग क्षेत्राधिकार है.
राजस्थान रेरा
राजस्थान रेरा ने नियम नोटिफाई कर दिए हैं और 1 जून 2017 को वेबसाइट लॉन्च की गई थी. 6 मार्च 2019 को राजस्थान सरकार ने राजस्थान रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन किया था और उसका चेयरमैन निहाल चंद गोयल को बनाया गया था.
दिल्ली रेरा
दिल्ली रेरा की आधिकारिक वेबसाइट (www.reradelhi.gov.in) को 24 जून 2019 को लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने लॉन्च किया था. नवंबर 2018 को दिल्ली को रेरा के तहत फुल टाइम रियल एस्टेट रेग्युलेटर मिला. एलजी अनिल बैजल ने इस पद पर रिटायर्ड आईएएस अफसर विजय एस मदन को नियुक्त किया था.
तेलंगाना रेरा
तेलंगाना सरकार ने अपने रेरा को 31 जुलाई 2017 को नोटिफाई किया था. राज्य के नियमों को तेलंगाना स्टेट रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) रूल्स 2017 कहा जाएगा. ये उन सारे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर लागू होगा, जिसकी बिल्डिंग की इजाजत को संबंधित प्रशासन ने 1 जनवरी 2017 को मंजूरी दी थी. घर खरीदारों और डेवलपर्स के साथ रियल एस्टेट एजेंटों के लिए भी कई सेवाएं प्रदान की जाती हैं। TSRERA के रूप में भी जाना जाने वाला यह प्राधिकरण राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, इसे अभी तक अपना स्थायी प्रमुख नियुक्त करना बाकी है।
आंध्र प्रदेश रेरा
आंध्र प्रदेश सरकार ने आंध्र प्रदेश रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) के नियम 27 मार्च 2017 को लागू किए थे. रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट आंध्र प्रदेश में 1 मई 2017 को लागू किए थे. प्रोजेक्ट व एजेंट्स के रजिस्ट्रेशन और शिकायतें दर्ज कराने के लिए सरकार ने वेबसाइट भी लॉन्च कर दी है.
पश्चिम बंगाल रेरा
द वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेग्युलेशन बिल 2017 को राज्य की विधानसभा ने 16 अगस्त 2017 को पास किया था. प.बंगाल सरकार द्वारा नोटिफाई होने के बाद 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा या आठ अपार्टमेंट्स के हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को राज्य नियामक हाउसिंग इंडस्ट्री रेग्युलेटरी अथॉरिटी (HIRA) के तहत रजिस्टर कराना होगा.
बिल में अगले 60 दिनों में HIRA को लाने का प्रस्ताव है. पश्चिम बंगाल द्वारा अपने रियल एस्टेट कानून को नोटिफाई करने के बीच, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 18 सितंबर 2018 को यह साफ कर दिया था कि जब बात केंद्रीय कानूनों के लागू होने की आती है तो इसमें कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए और राज्यों को इसकी पुष्टि करनी होगी.
गुजरात रेरा
गुजरात सरकार ने मई 2017 में गुजरात रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) के आम नियमों को अधिसूचित किया था. और तब से, गुजरात रेरा लागू है. कोई शख्स GujRERA की वेबसाइट www.gujrera.gujarat.gov.in पर जा सकता है.
पंजाब रेरा
पंजाब सरकार ने 8 जून, 2017 को रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) नियमों, 2017 को अधिसूचित किया था. पंजाब RERA की स्थापना 10 अगस्त, 2017 को हुई थी. पंजाब के मोहाली में अब तक की सबसे ज्यादा संख्या में RERA-रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स हैं.
बिहार रेरा
बिहार सरकार अपना खुद का कानून लेकर आई और 28 अप्रैल, 2017 को बिहार रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) नियम, 2017 को अधिसूचित किया. 13 मई 2020 तक, बिहार रेरा में 833 अप्रूव्ड प्रोजेक्ट्स हैं.
छत्तीसगढ़ रेरा
छत्तीसगढ़ सबसे पहले रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) अधिनियम, 2016 (रेरा) को लागू करने वाले राज्यों में से एक था. उसने छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) कानून, 2017 को नवंबर 2017 में लागू किया. मई 2020 तक, छत्तीसगढ़ RERA में 1,124 अप्रूव्ड प्रोजेक्ट्स और 473 अप्रूव्ड एजेंट थे. पहली बार, 12 मई, 2020 को छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट अथॉरिटी ने कोरोना वायरस वायरस महामारी के मद्देनजर वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई शुरू की.
केरल रेरा
नियमों को नोटिफाई करने में देरी के बाद केरल रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट नियमों को साल 2018 में नोटिफाई किया गया था. इससे पहले, केरल रेरा नियमों को राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया था, क्योंकि यह बिल्डर समुदाय के पक्ष में था. हालांकि, एक पोर्टल को 2020 की शुरुआत में फिर से लॉन्च किया गया था और अब यह पूरी तरह से चालू है.
ओडिशा रेरा
राज्य सरकार ने फरवरी 2017 में रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) अधिनियम के तहत नियमों को अधिसूचित किया था और उसी साल अक्टूबर में ओडिशा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (Odisha RERA) की स्थापना की थी.
मध्य प्रदेश रेरा
मध्य प्रदेश उन राज्यों में से एक था, जिन्होंने सबसे पहले रियल एस्टेट कानूनों के नियमों को लागू किया था. इसमें 2640 रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स और 244 ऐसे प्रोजेक्ट्स थे, जिसकी रजिस्ट्रेशन अंडर प्रोग्रेस है. 4 जून 2020 तक मध्य प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (MP RERA) के साथ 1,897 प्रमोटर और 677 रियल एस्टेट एजेंट रजिस्टर्ड हैं.
लद्दाख रेरा
8 अक्टूबर, 2020 को, लद्दाख रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट के तहत अपने नियमों को अधिसूचित करने वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि लद्दाख RERA, UT के विकास के नए रास्ते खोलेगा और कुशल और पारदर्शी लेनदेन को बढ़ावा देगा. इस कदम से परियोजनाओं की समय पर डिलीवरी और निर्माण की गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी.
जम्मू-कश्मीर रेरा
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ने 1 अगस्त, 2020 को रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) अधिनियम 2016 के तहत नियमों को अधिसूचित किया था. यह अपने नियमों को अधिसूचित करने वाला 33 वां क्षेत्र है. अधिकारियों को उम्मीद है कि जम्मू और कश्मीर RERA स्थानीय रियल एस्टेट बाजार में विकास और पारदर्शिता की एक नई लहर की शुरुआत करेगा. जम्मू-कश्मीर में रियल एस्टेट डेवलपर्स को पहले ही लिखित में फॉर्म ए में आवेदन दाखिल करने के लिए कहा जा चुका है.
रेरा के बारे में ताजा खबर
आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में केंद्रीय सलाहकार परिषद (सीएसी) ने रियल स्टेट परियोजनाओं की संरचनात्मक सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 12 अप्रैल को बैठक की। बहुमंजिला अपार्टमेंट्स में संरचनात्मक सुरक्षा से संबंधित कई घटनाएं हुई हैं। रेरा के मुताबिक, पोजेशन की तारीख से 5 साल की अवधि के भीतर सामने आई संरचनात्मक दोषों को सुधारने के लिए प्रमोटर जिम्मेदार हैं। रेरा अधिनियम के तहत संरचनात्मक सुरक्षा से संबंधित कुछ प्रावधानों पर विचार किया जाएगा ताकि ऊंची इमारतों में और अधिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और जान-माल के नुकसान को रोका जा सके।
बैठक में चालू परियोजनाओं को रजिस्ट्रेशन से छूट देकर रेरा अधिनियम के तहत नियम निर्धारित करते समय रुकी हुई परियोजनाओं के समाधान के लिए एक समिति बनाने और कुछ राज्यों द्वारा रेरा के प्रावधानों को संशोधित करने के मुद्दे पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, सीएसी नियमित अंतराल पर प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा निर्माण और संरचनात्मक ऑडिट के दौरान परियोजनाओं के भौतिक (फिजिकल) जांच जैसे उपायों पर विचार करेगा।
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आईबीसी पर रेरा की योग्यता
IBC के कानून रियल एस्टेट सेक्टर के कई खामियों और भ्रमों का गवाह रहे हैं. घर खरीदारों की जरूरतों के मुताबिक कई नीतिगत बदलाव हुए हैं लेकिन आईबीसी ने घर खरीदारों के मुद्दों को सुलझाने में अनावश्यक देरी की है. इस तरह, आईबीसी कानूनों के तहत, घर खरीदारों की शिकायतों का न तो पूरी तरह से समाधान किया गया और न ही निश्चित समय में. ऐसे मोड़ पर, रेरा लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में अधिक कुशल और फायदेमंद साबित हुआ है. हालांकि, अभी भी रेरा के तहत घर खरीदारों के अधिकारों और हितों और आईबीसी के तहत लेनदारों के हितों के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है.
पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
RERA एक्ट क्या है?
रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट, 2016 (रेरा) भारतीय संसद द्वारा घर खरीदारों के हितों की रक्षा और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए पारित किया गया एक कानून है.
RERA में शिकायत कैसे दर्ज कराएं?
RERA के तहत शिकायत संबंधित राज्यों के नियमों के तहत निर्धारित फॉर्म में होनी चाहिए. रेरा के तहत रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट के मामले में शिकायत एक निश्चित अवधि में अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन करने को लेकर दर्ज कराई जा सकती है.
रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर कैसे चेक करें?
ग्राहक किसी राज्य के पोर्टल पर जकर रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर चेक कर सकते हैं. हर वेब पोर्टल पर पंजीकृत प्रोजेक्ट्स की एक लिस्ट होती है, जिसमें रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर, अप्रूवल्स और अन्य दस्तावेज शामिल हैं.
रेरा अप्रूवल क्या है?
रेरा अप्रूव्ड का मतलब है रेरा रजिस्टर्ड. ऐसी कुछ गाइडलाइंस हैं, जिनका हर बिल्डर को पालन करना होता है ताकि वह अथॉरिटी के पास अपना प्रोजेक्ट रजिस्टर करा सके. इसमें अप्रूवल्स, लैंड टाइटल्स और इंश्योरेंस इत्यादि शामिल हैं.
रेरा कारपेट एरिया को कैसे कैलकुलेट करें?
रेरा के मुताबिक, कारपेट एरिया यानी किसी अपार्टमेंट में शुद्ध रूप से इस्तेमाल करने लायक फ्लोर एरिया. इसमें बाहरी दीवारें, सर्विस शाफ्ट्स के तहत आने वाला इलाका, बालकनी, बरामदा और छत का एरिया शामिल नहीं होता. लेकिन इसमें अपार्टमेंट के अंदर की विभाजन करने वाली दीवारें होती हैं.
रेरा ग्राहकों की मदद कैसे करता है?
ग्राहक रियल एस्टेट मार्केट को ज्यादा पारदर्शी और व्यवस्थित बनाकर घर खरीदारों और निवेशकों के हितों की रक्षा करता है. देश के कुल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के 70 प्रतिशत रेरा के क्षेत्राधिकार में आते हैं.
रेरा रजिस्ट्रेशन के लिए कैसे अप्लाई करें?
प्रॉपर्टी एजेंट और बिल्डर संबंधित राज्यों के RERA पोर्टल पर व्यक्ति या संस्था के नाम पर RERA रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं. रजिस्टर्ड होने के लिए सभी जरूरी दस्तावेजों को प्राधिकरण के सामने पेश करना होगा.
अगर बिल्डर रेरा का आदेश नहीं मानता है तो क्या होगा?
यदि डेवलपर रेरा का आदेश नहीं मानता है और घर खरीदार के लिए नियामक प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश को लागू नहीं करता है, तो खरीदार को उसी रेरा प्राधिकरण के पास डेवलपर के खिलाफ आदेश के पालन के लिए आवेदन करने का अधिकार है।